"जो अपनी मातृभाषा में बोल सको, वही खाओ" – रुजुता दिवेकर की सेहत और आत्म-देखभाल की सरल सलाह19 Jul 25

"जो अपनी मातृभाषा में बोल सको, वही खाओ" – रुजुता दिवेकर की सेहत और आत्म-देखभाल की सरल सलाह

जानी-मानी न्यूट्रिशनिस्ट और लेखक रुजुता दिवेकर एक बार फिर से सेहत के नाम पर चलने वाले जटिल ट्रेंड्स से ध्यान हटाकर भारतीय रसोई की पारंपरिक समझ की ओर सबका ध्यान खींच रही हैं। हाल ही में अपने नए रेसिपी बुक की चर्चा के दौरान उन्होंने एक बेहद सरल लेकिन असरदार विचार साझा किया: "जो खाना आप अपनी मातृभाषा में पहचान सकते हैं, वही आपके शरीर के लिए सबसे उपयुक्त है।" रुजुता का मानना है कि हमारी सेहत की जड़ें हमारी संस्कृति, भाषा और खानपान में छिपी होती हैं। पश्चिमी डाइट्स या महंगे सुपरफूड्स की बजाय अगर हम अपनी दादी-नानी के बताएं हुए खाने की ओर लौटें — जैसे दाल-चावल, पराठा, या मूंगफली — तो हम न केवल स्वस्थ रह सकते हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी बेहतर महसूस करेंगे। उनका यह नजरिया आज के समय में और भी प्रासंगिक है, जब लोग इंस्टाग्राम ट्रेंड्स और "डिटॉक्स डाइट्स" के पीछे भागते हुए अपनी जड़ों को भूलते जा रहे हैं।

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28 Apr 25

दिल्ली सरकार की नई पहल: वरिष्ठ नागरिकों के लिए "आयुष्मान वय वंदना" योजना का शुभारंभ

दिल्ली सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक बड़ी राहत के तौर पर "आयुष्मान वय वंदना" योजना की शुरुआत की है, जो राजधानी के बुजुर्गों को व्यापक स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करने का वादा करती है। इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार को ₹10 लाख तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा मिलेगा, जिससे गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाओं तक पहुंच काफी हद तक आसान हो जाएगी। इस सप्ताह की शुरुआत में घोषित इस पहल का मुख्य उद्देश्य उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाना है, जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आते हैं। "आयुष्मान वय वंदना" योजना मौजूदा आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) पर आधारित है, लेकिन इसमें बुजुर्गों की विशेष जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त लाभ जोड़े गए हैं।

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Chronic दर्द बढ़ा सकता है डिप्रेशन का खतरा, नई स्टडी से हुआ खुलासा17 Apr 25

Chronic दर्द बढ़ा सकता है डिप्रेशन का खतरा, नई स्टडी से हुआ खुलासा

क्रॉनिक दर्द सिर्फ आपके शरीर को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि यह आपकी नींद में खलल डाल सकता है, ऊर्जा को नष्ट कर सकता है और आपके रोज़मर्रा के जीवन पर गंभीर असर डाल सकता है। यह केवल शारीरिक संघर्षों तक सीमित नहीं है। हाल ही में एक रिसर्च में यह पाया गया है कि क्रॉनिक दर्द और डिप्रेशन के बीच गहरा संबंध है। यह अध्ययन यह स्पष्ट करता है कि दोनों एक-दूसरे से कैसे जुड़े हुए हैं और एक व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर इसका कितना गहरा प्रभाव पड़ सकता है। क्रॉनिक दर्द वाले व्यक्तियों में डिप्रेशन का खतरा ज्यादा होता है, और यह उनके जीवन की गुणवत्ता को और भी प्रभावित कर सकता है। यह जानकारी समझना जरूरी है ताकि लोग इन दोनों स्थितियों के बीच के संबंध को पहचान सकें और उपचार की दिशा में सही कदम उठा सकें।

क्या आपका ब्लड ग्रुप बताता है कि आप कितने बुद्धिमान हैं? जानिए दिल जीतने वाले खास लोगों के बारे में10 Apr 25

क्या आपका ब्लड ग्रुप बताता है कि आप कितने बुद्धिमान हैं? जानिए दिल जीतने वाले खास लोगों के बारे में

क्या खून के प्रकार से किसी की बुद्धिमत्ता और स्वभाव का अंदाज़ा लगाया जा सकता है? हाल के अध्ययनों और सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुसार, कुछ ब्लड ग्रुप्स वाले लोग न केवल भावनात्मक रूप से मजबूत होते हैं, बल्कि तनावपूर्ण परिस्थितियों में भी बेहद शांत और समझदार निर्णय लेने में सक्षम होते हैं। खासकर AB+ और O+ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को गहरी सोच, शानदार निर्णय शक्ति और दूसरों को समझने की अद्भुत क्षमता के लिए जाना जाता है। जापान जैसे देशों में तो यह विश्वास इतना मजबूत है कि ब्लड ग्रुप के आधार पर नौकरी और रिश्तों में भी प्राथमिकता दी जाती है।

पुणे में GBS का प्रकोप: तेजी से मांसपेशियों का फेल होना बढ़ा चिंता, डॉक्टरों ने बताया क्यों हर मामला है अलग26 Feb 25

पुणे में GBS का प्रकोप: तेजी से मांसपेशियों का फेल होना बढ़ा चिंता, डॉक्टरों ने बताया क्यों हर मामला है अलग

पुणे में गिलेन-बारे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में तेजी से मांसपेशियों के फेल होने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे स्वास्थ्य विशेषज्ञों में चिंता बढ़ गई है। कुछ मरीजों में इस बीमारी की प्रगति असामान्य रूप से तेज हो रही है, जो काफी खतरनाक साबित हो रही है। डॉक्टरों का कहना है कि हर मरीज का मामला अलग है, और GBS के लक्षणों की गंभीरता भी व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करती है, जो इसे और जटिल बना देता है।

पीएम मोदी ने बताया साल में 300 दिन खाते हैं मखाना, जानिए आपको भी क्यों इसे अपने आहार में शामिल करना चाहिए26 Feb 25

पीएम मोदी ने बताया साल में 300 दिन खाते हैं मखाना, जानिए आपको भी क्यों इसे अपने आहार में शामिल करना चाहिए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मखाने की महत्ता पर जोर देते हुए इसके वैश्विक उत्पादन की अपील की है। पीएम मोदी ने खुलासा किया कि वे साल के लगभग 300 दिन मखाना खाते हैं। मखाना पोषण से भरपूर होता है और सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो वजन घटाने से लेकर हृदय स्वास्थ्य तक कई लाभ प्रदान करते हैं। इसे अपनी डाइट में शामिल करना आपकी सेहत के लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।

'कैंसर का इलाज सिर्फ बड़े अस्पतालों तक सीमित नहीं रहना चाहिए': कैसे टाटा कैपिटल-समर्थित MOC डेकेयर पर कर रहा है दांव26 Feb 25

'कैंसर का इलाज सिर्फ बड़े अस्पतालों तक सीमित नहीं रहना चाहिए': कैसे टाटा कैपिटल-समर्थित MOC डेकेयर पर कर रहा है दांव

डॉ. क्षितिज जोशी और डॉ. वशिष्ठ मणियार, MOC के दो ऑन्कोलॉजिस्ट से सह-संस्थापक बने 2018 से, MOC ने 4.5 लाख से अधिक मरीजों का इलाज किया है, जो बड़े अस्पतालों के बजाय डेकेयर सेंटर्स में इलाज को प्राथमिकता दे रहा है।

"एंटी-इंफ्लेमेटरी डाइट: क्या यह वाकई स्वास्थ्य के लिए चमत्कारी है?"21 Feb 25

"एंटी-इंफ्लेमेटरी डाइट: क्या यह वाकई स्वास्थ्य के लिए चमत्कारी है?"

इन दिनों एंटी-इंफ्लेमेटरी डाइट काफी चर्चा में है, जिसका दावा है कि यह शरीर की सूजन को कम करने में मदद कर सकती है। पोषक तत्वों से भरपूर यह आहार शरीर में सूजन से लड़ने का वादा करता है, लेकिन क्या यह सच में अपने दावों पर खरा उतरता है? आइए जानें पोषण विशेषज्ञों से इसके फायदे और सच्चाई।

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31 Jul 2025