
"सुबह की सैर का कमाल: वजन घटाने और बेहतर स्वास्थ्य का सबसे आसान तरीका"
जब लोग स्वास्थ्य सुधारने और वजन घटाने के लिए महंगे जिम या जटिल डाइट प्लान अपनाने की कोशिश में जुटे हैं, तब विशेषज्ञों का ध्यान एक बेहद आसान और कारगर उपाय की ओर गया है – सुबह की नियमित सैर। रिसर्च और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, हर दिन तय समय तक की गई मॉर्निंग वॉक न केवल संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है, बल्कि पेट की चर्बी जैसी जिद्दी समस्याओं से निपटने में भी आश्चर्यजनक रूप से प्रभावी होती है। यह सरल आदत न केवल शरीर को सक्रिय रखती है, बल्कि मानसिक तनाव कम करने, हृदय को मजबूत करने और मेटाबॉलिज़्म को बढ़ावा देने में भी मदद करती है। हर उम्र के लोग इसे अपने रूटीन में शामिल कर सकते हैं – बिना किसी खर्च या उपकरण के। सुबह की ताज़ी हवा और हल्की धूप के बीच की गई वॉक न केवल शरीर के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह एक मानसिक रिचार्ज की तरह भी काम करती है।
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वर्ल्ड हीमोफिलिया डे 2025: केवल पुरुष नहीं, महिलाएं और लड़कियां भी रक्तस्राव विकारों के प्रति संवेदनशील
वर्ल्ड हीमोफिलिया डे 2025 के इस साल के थीम "Access for All: Women and Girls Bleed Too" के तहत, विशेषज्ञ यह समझा रहे हैं कि रक्तस्राव विकार केवल पुरुषों तक सीमित नहीं हैं। महिलाएं और लड़कियां भी इन विकारों का शिकार हो सकती हैं, और यह मुद्दा अब अधिक ध्यान आकर्षित कर रहा है। इस विशेष दिन पर, विशेषज्ञ भारत में बेहतर निदान, प्रारंभिक स्क्रीनिंग, और उन्नत उपचारों तक अधिक पहुंच की आवश्यकता को लेकर जोर दे रहे हैं। रक्तस्राव विकारों का सही समय पर इलाज और समझ दोनों ही जीवन को बेहतर बना सकते हैं। इस पहल से न केवल महिलाओं और लड़कियों को सही उपचार मिल सकेगा, बल्कि यह जागरूकता और शिक्षा फैलाने में भी मदद करेगा, जिससे समाज में इस समस्या के प्रति सही दृष्टिकोण विकसित हो सके।

Chronic दर्द बढ़ा सकता है डिप्रेशन का खतरा, नई स्टडी से हुआ खुलासा
क्रॉनिक दर्द सिर्फ आपके शरीर को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि यह आपकी नींद में खलल डाल सकता है, ऊर्जा को नष्ट कर सकता है और आपके रोज़मर्रा के जीवन पर गंभीर असर डाल सकता है। यह केवल शारीरिक संघर्षों तक सीमित नहीं है। हाल ही में एक रिसर्च में यह पाया गया है कि क्रॉनिक दर्द और डिप्रेशन के बीच गहरा संबंध है। यह अध्ययन यह स्पष्ट करता है कि दोनों एक-दूसरे से कैसे जुड़े हुए हैं और एक व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर इसका कितना गहरा प्रभाव पड़ सकता है। क्रॉनिक दर्द वाले व्यक्तियों में डिप्रेशन का खतरा ज्यादा होता है, और यह उनके जीवन की गुणवत्ता को और भी प्रभावित कर सकता है। यह जानकारी समझना जरूरी है ताकि लोग इन दोनों स्थितियों के बीच के संबंध को पहचान सकें और उपचार की दिशा में सही कदम उठा सकें।

क्या आपका ब्लड ग्रुप बताता है कि आप कितने बुद्धिमान हैं? जानिए दिल जीतने वाले खास लोगों के बारे में
क्या खून के प्रकार से किसी की बुद्धिमत्ता और स्वभाव का अंदाज़ा लगाया जा सकता है? हाल के अध्ययनों और सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुसार, कुछ ब्लड ग्रुप्स वाले लोग न केवल भावनात्मक रूप से मजबूत होते हैं, बल्कि तनावपूर्ण परिस्थितियों में भी बेहद शांत और समझदार निर्णय लेने में सक्षम होते हैं। खासकर AB+ और O+ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को गहरी सोच, शानदार निर्णय शक्ति और दूसरों को समझने की अद्भुत क्षमता के लिए जाना जाता है। जापान जैसे देशों में तो यह विश्वास इतना मजबूत है कि ब्लड ग्रुप के आधार पर नौकरी और रिश्तों में भी प्राथमिकता दी जाती है।

पुणे में GBS का प्रकोप: तेजी से मांसपेशियों का फेल होना बढ़ा चिंता, डॉक्टरों ने बताया क्यों हर मामला है अलग
पुणे में गिलेन-बारे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में तेजी से मांसपेशियों के फेल होने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे स्वास्थ्य विशेषज्ञों में चिंता बढ़ गई है। कुछ मरीजों में इस बीमारी की प्रगति असामान्य रूप से तेज हो रही है, जो काफी खतरनाक साबित हो रही है। डॉक्टरों का कहना है कि हर मरीज का मामला अलग है, और GBS के लक्षणों की गंभीरता भी व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करती है, जो इसे और जटिल बना देता है।

पीएम मोदी ने बताया साल में 300 दिन खाते हैं मखाना, जानिए आपको भी क्यों इसे अपने आहार में शामिल करना चाहिए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मखाने की महत्ता पर जोर देते हुए इसके वैश्विक उत्पादन की अपील की है। पीएम मोदी ने खुलासा किया कि वे साल के लगभग 300 दिन मखाना खाते हैं। मखाना पोषण से भरपूर होता है और सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो वजन घटाने से लेकर हृदय स्वास्थ्य तक कई लाभ प्रदान करते हैं। इसे अपनी डाइट में शामिल करना आपकी सेहत के लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।

'कैंसर का इलाज सिर्फ बड़े अस्पतालों तक सीमित नहीं रहना चाहिए': कैसे टाटा कैपिटल-समर्थित MOC डेकेयर पर कर रहा है दांव
डॉ. क्षितिज जोशी और डॉ. वशिष्ठ मणियार, MOC के दो ऑन्कोलॉजिस्ट से सह-संस्थापक बने 2018 से, MOC ने 4.5 लाख से अधिक मरीजों का इलाज किया है, जो बड़े अस्पतालों के बजाय डेकेयर सेंटर्स में इलाज को प्राथमिकता दे रहा है।