
अमेरिका-पाकिस्तान व्यापार समझौता 'कुछ ही दिन दूर'? इस्लामाबाद आशावादी, वॉशिंगटन चुप
पाकिस्तान सरकार ने दावा किया है कि अमेरिका के साथ एक महत्वपूर्ण व्यापार और निवेश समझौता "कुछ ही दिनों में" साइन होने वाला है। इस घोषणा के साथ पाकिस्तान को अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की उम्मीदें बंध गई हैं, जो इस समय मुद्रास्फीति, विदेशी कर्ज और निवेश की कमी जैसे गंभीर आर्थिक संकटों से जूझ रही है। हालांकि इस्लामाबाद के इस आत्मविश्वासपूर्ण बयान पर वॉशिंगटन की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं आई है। अमेरिकी अधिकारियों ने अब तक समझौते की समय-सीमा पर चुप्पी साध रखी है, जिससे इस दावे की गंभीरता और सटीकता पर सवाल उठ रहे हैं।जहां पाकिस्तान इस संभावित समझौते को लेकर आशावादी माहौल बना रहा है, वहीं अमेरिका की चुप्पी ने राजनयिक और आर्थिक विश्लेषकों को सतर्क कर दिया है। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या यह समझौता वास्तव में कुछ ही दिनों में सामने आएगा, या फिर यह राजनीतिक रणनीति का हिस्सा मात्र है।
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"पाक इतिहास की सबसे सख्त सजा भुगत रहा हूं": जेल से इमरान खान का आरोप
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने अटक जेल से एक सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा है कि वह देश के इतिहास की "सबसे कठोर सजा" झेल रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि जेल में उनके साथ अमानवीय व्यवहार हो रहा है और उन्हें बुनियादी सुविधाओं से वंचित किया गया है। इमरान खान का कहना है कि उन्हें न तो सही खाना मिल रहा है और न ही स्वास्थ्य सुविधाएं। उनके मुताबिक, उन्हें राजनीतिक बदले की भावना से टारगेट किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका हौसला कमजोर नहीं पड़ा है, लेकिन जो कुछ उनके साथ हो रहा है, वह "न्याय का अपमान" है। पाकिस्तान की सियासत में पहले से ही गर्म माहौल इस बयान के बाद और भड़क गया है। उनके समर्थक इसे सरकार और सैन्य प्रतिष्ठान की प्रतिशोध की राजनीति बता रहे हैं।

कीव की सड़कों पर विरोध की लहर: नागरिकों ने भ्रष्टाचार विरोधी कानून में ढील के खिलाफ किया प्रदर्शन
यूक्रेनी राजधानी कीव में हाल ही में हजारों नागरिकों ने एक नए विवादास्पद कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया, जिसे राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने हस्ताक्षरित किया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह कानून देश के उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही लड़ाई को कमजोर करता है और यूक्रेन के यूरोपीय संघ (EU) में शामिल होने की संभावनाओं को भी खतरे में डाल सकता है। प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर पारदर्शिता और जवाबदेही से समझौता करने का आरोप लगाया, जबकि विपक्षी दलों और स्वतंत्र निगरानी समूहों ने इस कदम को लोकतांत्रिक सुधारों के खिलाफ बताया। ज़ेलेंस्की प्रशासन हालांकि इस कानून को प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने की दिशा में एक कदम बता रहा है, लेकिन जनता का गुस्सा लगातार बढ़ता दिख रहा है।

गाजा संकट के बीच अमेरिका ने तेज़ किया संघर्षविराम का प्रयास, बढ़ते मानवीय संकट ने बढ़ाई चिंता
गाजा पट्टी में जारी भीषण युद्ध और मानवीय हालात की लगातार बिगड़ती स्थिति को देखते हुए अमेरिका ने इज़राइल और हमास के बीच संघर्षविराम को लेकर अपनी कूटनीतिक कोशिशों को एक बार फिर तेज़ कर दिया है। इस प्रयास के पीछे सबसे बड़ी वजह है आम नागरिकों की लगातार हो रही मौतें, खासकर उन जगहों पर जहां राहत सामग्री वितरित की जा रही है। अमेरिका की इस हाई-स्टेक पहल का उद्देश्य है युद्ध को जल्द से जल्द रोकना और गाजा में फंसे लोगों को राहत पहुंचाना। हालांकि, दोनों पक्षों के बीच जारी अविश्वास और जमीनी हालात इस प्रयास को बेहद जटिल बना रहे हैं। फिर भी वैश्विक दबाव और मानवीय त्रासदी ने अमेरिका को अब इस दिशा में निर्णायक कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया है।

इस्राइल से टकराव के बीच ईरान ने जताई परमाणु समृद्धि जारी रखने की मंशा, यूरोपीय देशों पर भी ठहराया दोष
ईरान के वरिष्ठ राजनयिक और परमाणु वार्ताकार अब्बास अराग़ची ने स्पष्ट कर दिया है कि उनका देश यूरेनियम संवर्धन (Uranium Enrichment) का कार्यक्रम किसी भी स्थिति में नहीं रोकेगा। उनका कहना है कि हाल ही में इस्राइल के साथ हुए सैन्य टकराव के चलते ईरान की परमाणु क्षमताओं को भारी नुकसान पहुंचा है, और इसी कारण ईरान अब अपने रक्षा और ऊर्जा हितों के लिए संवर्धन तेज़ करेगा। अराग़ची ने इसके साथ ही यूरोपीय देशों को 2015 के ईरान परमाणु समझौते (JCPOA) के विफल होने के लिए जिम्मेदार ठहराया, यह कहते हुए कि उन्होंने वादों को निभाने में गंभीर लापरवाही की है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब संभावित नई वार्ताओं की अटकलें तेज हो रही हैं। ईरान के इस रुख से पश्चिमी देशों के साथ फिर से बातचीत की संभावनाएं और जटिल होती दिख रही हैं।

गाज़ा में नागरिकों की 'अमानवीय हत्या' पर इसराइल की आलोचना, 25 पश्चिमी देशों की कड़ी निंदा
इसराइल के गाज़ा पट्टी में सैन्य अभियानों को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर तीखी आलोचना सामने आई है। ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा जैसे प्रमुख देशों सहित कुल 25 पश्चिमी राष्ट्रों ने एकजुट होकर इसराइल की निंदा की है, जिसमें उन्होंने गाज़ा में विशेष रूप से राहत वितरण के दौरान फिलिस्तीनी नागरिकों की "अमानवीय हत्या" पर गहरा आक्रोश जताया है। इस सामूहिक बयान में कहा गया कि इसराइली हमलों से पहले से ही संकटग्रस्त गाज़ा में मानवीय त्रासदी और गहराई है। पश्चिमी देशों ने इसराइल से आग्रह किया है कि वह अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पालन करते हुए तत्काल प्रभाव से नागरिकों की रक्षा सुनिश्चित करे और राहत प्रयासों में बाधा न डाले। यह बयान उस समय आया है जब गाज़ा में हालात बेहद चिंताजनक हो गए हैं और हजारों आम नागरिक जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

"इज़रायल ने हमास के हथियार प्रमुख को मार गिराने का दावा, गाज़ा में भुखमरी संकट और गहराया"
इज़रायली रक्षा बलों (IDF) ने बुधवार को एक बयान जारी कर बताया कि उसने एक सटीक हवाई हमले में हमास के एक शीर्ष हथियार कमांडर को मार गिराया है। यह कार्रवाई गाज़ा में जारी सैन्य अभियान के तहत की गई, जो दिन-ब-दिन और अधिक तीव्र होता जा रहा है। वहीं दूसरी ओर, फिलिस्तीनी अधिकारियों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि गाज़ा में भुखमरी का संकट भयावह स्तर पर पहुंच रहा है। लगातार हो रहे हमलों, खाद्य आपूर्ति में रुकावट और मानवीय सहायता के बाधित होने से हालात दिन-ब-दिन खराब होते जा रहे हैं। जहां एक ओर इज़रायल इस कार्रवाई को आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम बता रहा है, वहीं दूसरी ओर मानवीय संगठनों का कहना है कि आम नागरिकों की हालत बेहद गंभीर होती जा रही है।