
ट्रंप के आदेश से H-1B वीज़ा शुल्क पहुँचा $100,000, अमेरिकी कारोबारी जगत में हड़कंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित एक्ज़िक्यूटिव ऑर्डर के बाद एच-1बी वीज़ा स्पॉन्सरशिप शुल्क को बढ़ाकर प्रति आवेदक $100,000 कर दिया गया है। यह नाटकीय बढ़ोतरी अब विभिन्न उद्योगों में भर्ती रणनीतियों को गहराई से प्रभावित करने वाली है और इसे लेकर अमेरिकी कारोबारी जगत में हड़कंप मच गया है। अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक संगठन यू.एस. चैंबर ऑफ कॉमर्स इस नीति परिवर्तन को लेकर खुलकर सामने आया है। संगठन ने चेतावनी दी है कि यह कदम अमेरिका की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को कमजोर कर सकता है। अपने बयान में चैंबर ने कहा, “हमें एच-1बी वीज़ा शुल्क में इस तेज़ वृद्धि को लेकर चिंता है। चैंबर इस आदेश के विवरण का मूल्यांकन कर रहा है और अपने सदस्यों तथा अर्थव्यवस्था के लिए सबसे अच्छा रास्ता तलाशने पर काम कर रहा है।”
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ट्रम्प की चुप्पी टूटी: व्हाइट हाउस ने 2 सितंबर को बड़े ऐलान का किया ऐलान
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तबीयत को लेकर उठी अटकलों के बीच व्हाइट हाउस ने आखिरकार उनकी अगली आधिकारिक उपस्थिति की पुष्टि कर दी है। 26 अगस्त से सार्वजनिक मंचों से गायब रहने और हाथों पर रहस्यमयी निशानों वाली तस्वीरों के फैलने के बाद ट्रम्प के स्वास्थ्य को लेकर कयास तेज़ हो गए थे। इन अटकलों पर विराम लगाते हुए अब आधिकारिक कार्यक्रम में दर्ज किया गया है कि 2 सितंबर 2025 को दोपहर 2 बजे ट्रम्प ओवल ऑफिस से एक महत्वपूर्ण घोषणा करेंगे। हालांकि इस घोषणा की प्रकृति को लेकर कोई जानकारी साझा नहीं की गई है, लेकिन इससे राजनीतिक हलकों से लेकर आम जनता तक गहन जिज्ञासा और चर्चाओं का माहौल बन गया है। कई लोग इसे उनके स्वास्थ्य पर बयान मान रहे हैं, तो कुछ इसे किसी नए राजनीतिक कदम की भूमिका बता रहे हैं। स्पष्ट है कि ट्रम्प का यह ऐलान अमेरिकी राजनीति और अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य, दोनों के लिए बेहद अहम साबित हो सकता है।

अमेरिकी अदालत का बड़ा फैसला: ट्रंप ने टैरिफ लगाने में की कानूनी सीमा का उल्लंघन
अमेरिका की एक फ़ेडरल अपील अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्टील और एल्युमिनियम आयात पर लगाए गए टैरिफ के मामले में अपनी संवैधानिक और कानूनी सीमाओं को लांघा। अदालत के इस आदेश ने अरबों डॉलर के टैक्स पर कानूनी अनिश्चितता खड़ी कर दी है, जो अब तक लागू हैं। अदालत के 2-1 के फैसले में कहा गया कि ट्रंप प्रशासन ने नेशनल सिक्योरिटी लॉ का हवाला देकर 2018 में टैरिफ विस्तार का कदम उठाया था, लेकिन यह कार्रवाई कांग्रेस द्वारा तय की गई समय-सीमा से बाहर थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि ट्रंप ने ट्रेड एक्सपैंशन एक्ट 1962 की धारा 232 के तहत निर्धारित समयसीमा का उल्लंघन किया, जिसके आधार पर इन टैरिफ को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ से जोड़कर उचित ठहराया गया था। यह निर्णय न केवल ट्रंप प्रशासन की नीति पर सवाल खड़ा करता है बल्कि अमेरिका की व्यापार नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी व्यापक असर डाल सकता है। अब सवाल यह है कि अरबों डॉलर के इन टैरिफ का भविष्य क्या होगा और क्या मौजूदा प्रशासन को इन्हें रद्द करना पड़ेगा।

ट्रम्प की टैरिफ़ चाल पर वैश्विक नाराज़गी, भारत सबसे आगे
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा विदेश नीति के औज़ार के रूप में टैरिफ़ पर आक्रामक निर्भरता ने दुनिया भर में कड़ी आलोचना को जन्म दिया है। यूरोप की बड़ी आर्थिक शक्तियों से लेकर एशिया के तेज़ी से बढ़ते देशों और दक्षिण अमेरिकी अर्थव्यवस्थाओं तक, कई देश इसे एक उच्च-जोखिम वाली "टैरिफ़ जुआ रणनीति" बताते हुए खुलकर विरोध जता रहे हैं। भारत इस वैश्विक विरोध के सबसे आगे नज़र आ रहा है, जिसने साफ़ किया है कि ऐसे एकतरफ़ा आर्थिक दबाव को स्वीकार नहीं किया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस टकराव से अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों पर गहरा असर पड़ सकता है और आने वाले महीनों में वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और बढ़ सकती है।

भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम पर ट्रंप का दावा: “मेरी टैरिफ धमकी से हुआ समझौता”, भारत ने नकारा किसी तीसरे पक्ष की भूमिका
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर सनसनीखेज़ दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ हालिया संघर्षविराम उनकी पहल का नतीजा था। ट्रंप के मुताबिक उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चेतावनी दी थी कि अगर तनाव कम नहीं हुआ तो “इतने ऊँचे टैरिफ लगाए जाएँगे कि आपका सिर घूम जाएगा।” ट्रंप का कहना है कि उनकी इस धमकी के महज़ पाँच घंटे बाद ही संघर्षविराम लागू हो गया। हालाँकि भारत ने ट्रंप के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम द्विपक्षीय बातचीत और समझौते का परिणाम था, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान उनके राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा हो सकता है, जबकि दक्षिण एशियाई राजनीति में भारत लगातार “कोई तीसरी पार्टी नहीं” की नीति पर कायम है। इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय हलकों में एक बार फिर कूटनीतिक बहस को जन्म दे दिया है।

शी जिनपिंग करेंगे मोदी और पुतिन की मेज़बानी, एशियाई एकजुटता दिखाने को भव्य शिखर सम्मेलन
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक उच्चस्तरीय शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का स्वागत करने वाले हैं। इस मुलाक़ात को “एशियाई एकजुटता का भव्य प्रदर्शन” बताया जा रहा है, जिसका उद्देश्य प्रमुख एशियाई ताक़तों और उनके सहयोगियों के बीच साझा मोर्चा प्रस्तुत करना है। यह बैठक विशेष महत्व रखती है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी लगभग सात साल बाद चीन की यात्रा पर जा रहे हैं। भारत और चीन के बीच 2020 में सीमा पर हुई हिंसक झड़पों से रिश्ते काफ़ी तनावपूर्ण हो गए थे और अब दोनों देश संबंधों को सुधारने की दिशा में आगे बढ़ते दिख रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह शिखर सम्मेलन न केवल एशिया में बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों को दर्शाएगा बल्कि वैश्विक मंच पर तीनों नेताओं की साझी रणनीतियों को भी उजागर करेगा।

यूक्रेनी ड्रोन हमलों से रूस में हड़कंप, बाल्टिक गैस टर्मिनल बंद, परमाणु संयंत्र पर अलर्ट
रूस के ऊर्जा ढांचे पर अब तक के सबसे बड़े हमलों में से एक के तहत, यूक्रेन द्वारा भेजे गए संदिग्ध ड्रोन ने रविवार को बाल्टिक सागर पर स्थित एक प्रमुख गैस निर्यात टर्मिनल को निशाना बनाया। इस हमले के बाद टर्मिनल में भीषण आग लग गई और सभी परिचालन तत्काल बंद करने पड़े। आग पर काबू पाने में कई घंटे लगे। रूसी अधिकारियों ने बताया कि इस हमले से टर्मिनल की आपूर्ति श्रृंखला पर बड़ा असर पड़ा है, जो यूरोप और एशिया के लिए गैस निर्यात का एक अहम केंद्र है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वार रूस की अर्थव्यवस्था और उसकी ऊर्जा सुरक्षा पर गहरा दबाव डाल सकता है। इसी बीच, सेंट पीटर्सबर्ग के पास एक और ड्रोन को मार गिराने की खबर आई है। यह घटनाक्रम बताता है कि यूक्रेन की लंबी दूरी तक वार करने की क्षमता अब पहले से कहीं अधिक सशक्त हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, ड्रोन हमले की वजह से पास के एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र को भी अस्थायी सुरक्षा अलर्ट पर डालना पड़ा, हालांकि बाद में स्थिति को नियंत्रण में बताया गया।