
राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर बड़ा हमला: गुजरात में हार के लिए 'पक्षपाती अंपायर' को ठहराया जिम्मेदार
कारगिल विजय दिवस के मौके पर जब पूरा देश 1999 के युद्ध के शहीदों को नमन कर रहा था, तब एक बहुत ही व्यक्तिगत और मार्मिक संदेश सामने आया। यह संदेश था कैप्टन विक्रम बत्रा (परमवीर चक्र) के जुड़वां भाई विशाल बत्रा की ओर से, जिन्होंने कहा कि उनके लिए यह दिन केवल एक सालाना श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि हर दिन की याद है। विशाल बत्रा ने साझा किया कि कैप्टन विक्रम की वीरता और बलिदान उनके जीवन का हिस्सा बन चुका है – ऐसा एहसास जो हर सुबह उनकी आंखें खोलते ही सामने आ जाता है। उन्होंने कहा कि उनके लिए यह एक निजी युद्ध है जो कभी खत्म नहीं होता, और हर दिन वह अपने भाई को याद करते हैं जैसे कल की ही बात हो। यह श्रद्धांजलि न केवल एक भाई की संवेदना है, बल्कि उस हर भारतीय की भावना है जो अपने देश के लिए शहीद हुए वीरों को कभी नहीं भूलता।
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संसद में गतिरोध जारी: विपक्ष के हंगामे के बीच तीसरे दिन भी लोकसभा-राज्यसभा स्थगित
संसद के मानसून सत्र का तीसरा दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गया, जहां लोकसभा और राज्यसभा दोनों को स्थगित करना पड़ा। विपक्ष के लगातार विरोध और सरकार के साथ जारी गतिरोध के कारण तीसरे दिन भी कोई विधायी कामकाज नहीं हो सका, जिससे संसदीय कार्यवाही ठप पड़ गई है। हंगामे के चलते न तो बहस हो सकी, न ही कोई विधेयक पारित हुआ, और अब संसद को गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह स्थिति बनी रही, तो मानसून सत्र में ज़रूरी विधायी कार्य पूरे करना मुश्किल हो सकता है। यह गतिरोध अब सरकार और विपक्ष के बीच शक्ति प्रदर्शन का केंद्र बनता जा रहा है।

उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा, सियासी गलियारों में हड़कंप – प्रोटोकॉल उल्लंघन के आरोप
देश की राजनीति में एक अप्रत्याशित मोड़ उस समय आया जब उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह कदम न सिर्फ चौंकाने वाला रहा, बल्कि सूत्रों के मुताबिक उन्होंने यह फैसला प्रोटोकॉल को दरकिनार करते हुए लिया, जिससे संसद सत्र के दौरान गंभीर राजनीतिक हलचल मच गई है। इस फैसले ने जहां सत्ताधारी और विपक्षी दलों के बीच बहस को हवा दी है, वहीं संसदीय कार्यवाही भी इससे प्रभावित हुई है। जानकारों का कहना है कि इस तरह की अनपेक्षित कार्रवाई से संवैधानिक मर्यादाओं और प्रक्रियाओं पर सवाल उठने लगे हैं। आने वाले दिनों में यह मुद्दा राजनीतिक और संवैधानिक बहस का केंद्र बन सकता है।

'माफिया' टिप्पणी पर पवन कल्याण का करारा जवाब, आंध्र की सियासत में जुबानी जंग तेज
आंध्र प्रदेश की सियासत में इन दिनों जुबानी जंग तेज हो गई है। जनसेना पार्टी (JSP) प्रमुख पवन कल्याण ने मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी द्वारा विपक्षी गठबंधन को 'माफिया' कहे जाने पर जमकर तंज कसा। पवन कल्याण ने इस आरोप को हंसी में उड़ाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री खुद अपनी सरकार में हो रहे कथित भ्रष्टाचार और कुप्रशासन से आंखें मूंदे बैठे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जनता को असली ‘माफिया’ कौन लग रहा है—जो सवाल उठा रहे हैं या जो सत्ता में रहकर जवाब देने से बच रहे हैं? इस बयानबाज़ी से साफ है कि आगामी चुनावों से पहले राज्य की राजनीति और भी गरमाने वाली है।

TMC का 2026 मिशन शुरू: शहीद दिवस रैली में 'बंगाली अस्मिता' को बनाया मुख्य मुद्दा
पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने अपनी वार्षिक शहीद दिवस रैली के मंच से 2026 विधानसभा चुनावों के लिए अपनी रणनीतिक दिशा स्पष्ट कर दी है। पार्टी की नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस ऐतिहासिक रैली में अपने भाषण के माध्यम से ‘बंगाली गर्व और सांस्कृतिक विरासत’ को मुख्य चुनावी एजेंडे के रूप में प्रस्तुत किया। पार्टी ने इस बार राजनीतिक विमर्श को बंगाली अस्मिता के इर्द-गिर्द केंद्रित करते हुए, राष्ट्रवाद और पहचान की लड़ाई को एक स्थानीय स्वरूप देने की कोशिश की है। इसके साथ ही TMC ने अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के आरोपों से खुद को दूर रखने की रणनीति भी दिखाई।

"‘दुर्गा आंगन’ बनाम ‘जय मा काली’: बंगाल चुनाव 2026 से पहले धार्मिक प्रतीकों की सियासी जंग तेज़"
पश्चिम बंगाल की सियासत में 2026 विधानसभा चुनाव से पहले धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों की होड़ तेज होती जा रही है। मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी द्वारा हाल ही में घोषित ‘दुर्गा आंगन’ परियोजना को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ‘जय मा काली’ नारे और हिंदुत्व रणनीति के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ममता बनर्जी ने इस घोषणा के जरिए भाजपा के धार्मिक विमर्श को चुनौती देने और बंगाली सांस्कृतिक पहचान को आगे रखने का प्रयास किया है। दूसरी ओर, भाजपा भी अपनी धार्मिक अपील को गहराते हुए ‘मा काली’ और ‘सनातन संस्कृति’ को जनसभाओं में केंद्रबिंदु बना रही है। यह शुरुआती संकेत हैं कि बंगाल की राजनीति एक बार फिर भावनाओं, पहचान और परंपराओं के इर्द-गिर्द घूमने वाली है, जहां ‘धर्म’ और ‘संस्कृति’ राजनीतिक हथियार बन चुके हैं।

संसद के मानसून सत्र से पहले विपक्ष हमलावर: NEET घोटाला, मणिपुर हिंसा और सुरक्षा मुद्दों पर PM से जवाब की मांग
संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले ही राजनीतिक पारा चढ़ गया है। रविवार को विपक्षी दलों ने साझा मोर्चा बनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तीन बड़े राष्ट्रीय मुद्दों पर संसद में सीधा बयान देने की मांग की: NEET परीक्षा में गड़बड़ी और पेपर लीक मणिपुर में जारी जातीय हिंसा जम्मू-कश्मीर में बढ़ते आतंकी हमले इंडिया गठबंधन के नेताओं ने सरकार पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाते हुए कहा कि इन संवेदनशील मुद्दों पर प्रधानमंत्री की चुप्पी लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है। कांग्रेस, तृणमूल, आप, डीएमके और अन्य प्रमुख विपक्षी दलों ने स्पष्ट संकेत दिया है कि अगर इन मुद्दों पर सरकार ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया, तो संसद में विवाद और गतिरोध तय है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "जब देश के युवाओं का भविष्य, पूर्वोत्तर में शांति और राष्ट्रीय सुरक्षा दांव पर हो, तब प्रधानमंत्री का मौन स्वीकार्य नहीं है।" विपक्षी नेताओं ने यह भी चेतावनी दी है कि वे इस सत्र को केवल औपचारिकता में बदलने नहीं देंगे।