बिहार चुनाव से पहले बीजेपी का infiltrations मुद्दे पर जोर, सीमांचल क्षेत्र बना राजनीतिक केंद्र20 Sep 25

बिहार चुनाव से पहले बीजेपी का infiltrations मुद्दे पर जोर, सीमांचल क्षेत्र बना राजनीतिक केंद्र

आगामी विधानसभा चुनावों से पहले बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने चुनावी अभियान को और तेज़ कर दिया है। पार्टी ने अवैध घुसपैठ के मुद्दे को चुनावी बहस का प्रमुख केंद्र बना दिया है, खासकर राजनीतिक रूप से संवेदनशील सीमांचल क्षेत्र में। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं ने इस विषय को सीधे जनता के सामने रखा है। उन्होंने विपक्षी दलों पर तुष्टिकरण की राजनीति करने और राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाया है। बीजेपी की रणनीति स्पष्ट करती है कि वह सीमांचल को न केवल चुनावी मुद्दा बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और पहचान की राजनीति से जोड़कर जनता के बीच अपनी पैठ मजबूत करना चाहती है। यह चुनावी विमर्श आने वाले दिनों में राज्य की सियासत को और अधिक गरमा सकता है।

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20 Sep 25

निर्वाचन आयोग की सख़्ती: निष्क्रियता के कारण 474 और राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द

भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) ने अपनी चुनावी शुद्धिकरण मुहिम को आगे बढ़ाते हुए 474 और पंजीकृत अप्रमाणित राजनीतिक दलों (RUPPs) को निष्क्रियता के चलते सूची से बाहर कर दिया है। यह घोषणा 18 सितंबर 2025 को की गई और इसे आयोग की निष्क्रिय संगठनों पर बड़ी कार्रवाई का दूसरा चरण माना जा रहा है। इस ताज़ा कार्रवाई के साथ पिछले दो महीनों में कुल 808 दलों को सूची से हटाया जा चुका है। इससे पहले 9 अगस्त 2025 को आयोग ने 334 राजनीतिक दलों की मान्यता समाप्त की थी। निर्वाचन आयोग का कहना है कि यह कदम चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और उन संस्थाओं पर रोक लगाने के लिए ज़रूरी है जो लंबे समय से निष्क्रिय बनी हुई हैं।

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बिहार चुनावी सरगर्मी: विपक्षी गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर अहम मंथन04 Sep 25

बिहार चुनावी सरगर्मी: विपक्षी गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर अहम मंथन

लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, बिहार की राजनीति में हलचल तेज़ होती जा रही है। राष्ट्रीय स्तर पर बने गठबंधन आई.एन.डी.आई.ए. ब्लॉक का हिस्सा रहे राज्य के विपक्षी दल अब सीट बंटवारे की जटिल प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए गहन बातचीत कर रहे हैं। इन चर्चाओं की अगुवाई राष्ट्रीय जनता दल (राजद) कर रहा है, और यह प्रक्रिया तेज़स्वी यादव की सफल ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के बाद और भी तेज़ हो गई है। इस यात्रा ने न केवल विपक्षी समर्थकों में नई ऊर्जा भरी, बल्कि ग्रामीण इलाकों में पार्टी की पकड़ को और मज़बूत किया। अब गठबंधन की रणनीति उन ज़िलों तक पहुँच बनाने की है, जहाँ तक यह यात्रा नहीं पहुँच पाई थी, ताकि राज्यभर में व्यापक असर डाला जा सके और सत्तारूढ़ एनडीए को कड़ी चुनौती दी जा सके।

बिहार में विपक्ष का शक्ति प्रदर्शन: अखिलेश, राहुल और तेजस्वी एक मंच पर करेंगे रोड शो30 Aug 25

बिहार में विपक्ष का शक्ति प्रदर्शन: अखिलेश, राहुल और तेजस्वी एक मंच पर करेंगे रोड शो

बिहार की सियासत में आज एक बड़ा और अहम राजनीतिक पल देखने को मिलेगा, जब समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव एक साथ मंच साझा करेंगे। यह कार्यक्रम राहुल गांधी की जारी ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के तहत सीवान ज़िले में होने जा रहा है। इस संयुक्त रोड शो को विपक्षी एकजुटता का मजबूत संदेश माना जा रहा है। तीनों नेताओं का एक साथ आना न सिर्फ़ बीजेपी और एनडीए के ख़िलाफ़ विपक्षी गठबंधन की ताक़त को प्रदर्शित करेगा, बल्कि बिहार चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन के मनोबल को भी नई ऊर्जा देगा। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस रोड शो से जनता के बीच विपक्षी गठबंधन की छवि और मज़बूत होगी, वहीं दलित, पिछड़े और युवाओं पर विशेष असर डालने की रणनीति भी साफ़ झलक रही है। अखिलेश-राहुल-तेजस्वी की संयुक्त उपस्थिति आने वाले दिनों में विपक्षी खेमे की चुनावी रणनीति की दिशा भी तय कर सकती है।

बिहार चुनाव 2025: सर्वे में NDA को बढ़त, BJP बनी प्रमुख ताक़त, JDU को झटका28 Aug 25

बिहार चुनाव 2025: सर्वे में NDA को बढ़त, BJP बनी प्रमुख ताक़त, JDU को झटका

जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव क़रीब आ रहे हैं, एक शुरुआती ओपिनियन पोल ने सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को महागठबंधन पर स्पष्ट बढ़त दी है। यह रुझान राज्य की राजनीतिक तस्वीर में बड़ा बदलाव ला सकता है। सर्वे के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (BJP) मज़बूत बढ़त हासिल कर रही है और गठबंधन के भीतर प्रमुख शक्ति के रूप में उभर रही है, जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) [JDU] को पिछली 2020 विधानसभा चुनावों की तुलना में सीटों में गिरावट का सामना करना पड़ सकता है। अगर यह रुझान चुनाव तक कायम रहा, तो यह गठबंधन के भीतर की समीकरणों को बदल सकता है और बिहार की राजनीति में BJP का दबदबा और अधिक मज़बूत हो सकता है।

बिहार में राहुल गांधी की रैली से जुड़े वीडियो पर बवाल, पीएम मोदी पर अभद्र टिप्पणी का आरोप28 Aug 25

बिहार में राहुल गांधी की रैली से जुड़े वीडियो पर बवाल, पीएम मोदी पर अभद्र टिप्पणी का आरोप

बिहार की राजनीति में एक बड़ा विवाद उस समय खड़ा हो गया जब ‘वोटर अधिकार यात्रा’ से जुड़ा एक वीडियो सामने आया। इस वीडियो में कथित तौर पर मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत माता के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया। वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह केवल प्रधानमंत्री का ही नहीं, बल्कि बिहार की जनता का भी अपमान है और जनता इसका करारा जवाब देगी। दूसरी ओर, कांग्रेस खेमे की ओर से इस मामले पर सफाई और प्रतिक्रियाएँ आने का सिलसिला जारी है। इस घटना ने चुनावी माहौल में तनाव और गरमी को और बढ़ा दिया है, जिससे साफ है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा राज्य की राजनीति में और गहराई तक गूंजेगा।

बिहार चुनाव 2025: चेनपुर विधानसभा सीट पर फिर होगा रोमांचक मुकाबला26 Aug 25

बिहार चुनाव 2025: चेनपुर विधानसभा सीट पर फिर होगा रोमांचक मुकाबला

बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, सूबे की सियासत में सबसे ज़्यादा चर्चा चेनपुर विधानसभा सीट की हो रही है। यह सीट लंबे समय से राज्य की सबसे पेचीदा और अनिश्चित राजनीतिक ज़मीन मानी जाती है। बेहद कम अंतर से होने वाली जीत-हार और दल-बदल की परंपरा के लिए मशहूर चेनपुर में इस बार भी कड़ा संघर्ष देखने को मिलेगा। पिछले कई चुनावों में यहाँ का मुकाबला अंतिम क्षण तक रोमांचक बना रहा है और मतदाता समीकरण हर बार नई तस्वीर पेश करते हैं। यही वजह है कि चेनपुर को राजनीतिक पर्यवेक्षक “क्लिफहैंगर कॉन्स्टिट्यूएंसी” कहते हैं। इस बार के चुनाव में भी स्थानीय मुद्दों, जातीय समीकरणों और उम्मीदवारों की व्यक्तिगत पकड़ इस सीट का परिणाम तय करेंगे। सभी की नज़रें अब इस ओर टिकी हैं कि चेनपुर की जनता किसके पक्ष में अंतिम फैसला सुनाती है।

अरविंद केजरीवाल का अमित शाह पर सवाल: “पार्टी में अपराधियों को शामिल करने पर कितनी हो सज़ा?”25 Aug 25

अरविंद केजरीवाल का अमित शाह पर सवाल: “पार्टी में अपराधियों को शामिल करने पर कितनी हो सज़ा?”

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गृह मंत्री अमित शाह से तीखा सवाल किया। केजरीवाल ने पूछा कि यदि कोई राजनेता अपनी पार्टी में अपराधियों को शामिल करता है तो उसके लिए कितने साल की कैद तय होनी चाहिए। यह बयान ऐसे समय आया है जब भारतीय राजनीति में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं की मौजूदगी पर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है। केजरीवाल ने कहा कि जनता के भरोसे पर चुनी जाने वाली राजनीतिक पार्टियों में अपराधियों की सक्रिय भागीदारी लोकतंत्र और शासन की साख पर गंभीर सवाल खड़े करती है। विपक्षी दलों और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा आगामी चुनावों में एक अहम चुनावी बहस का केंद्र बन सकता है।

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