आसदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान के विमानों के लिए भारतीय आकाश बंद करने की दी सलाह, पहलगाम हमले के बाद जताई चिंता29 Apr 25

आसदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान के विमानों के लिए भारतीय आकाश बंद करने की दी सलाह, पहलगाम हमले के बाद जताई चिंता

पाहलगाम में हालिया आतंकी हमले के बाद, जिसमें कई लोग मारे गए, जिनमें कुछ पर्यटक भी शामिल थे, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख आसदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार से पाकिस्तान के विमानों के लिए भारतीय आकाश बंद करने का आग्रह किया है।श्रीनगर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया, जिसमें उन्होंने क्षेत्र में बढ़ती हिंसा पर गहरी चिंता और नाराजगी जताई। उनका कहना था कि यह कदम पाकिस्तान को एक मजबूत संदेश भेजेगा और जम्मू कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी समूहों को समर्थन देने और सीमा पार घुसपैठ को रोकने में मदद कर सकता है।

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29 Apr 25

तमिलनाडु मंत्री P.K. सेकर बाबू के बयान से विवाद, रामायण में सीता के अपहरण को जोड़ा महिला सुरक्षा से

तमिलनाडु के हिंदू धार्मिक और चैरिटेबल एंडोवमेंट्स (HR&CE) मंत्री, P.K. सेकर बाबू, ने हाल ही में अपने विवादित बयान से बहस छेड़ दी है, जिसमें उन्होंने आधुनिक अपहरणों की तुलना हिंदू महाकाव्य रामायण में सीता के अपहरण से की। चेन्नई में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान मंत्री ने कहा, "रामायण में भी हम देखते हैं कि सीता का अपहरण हुआ था," और इसे महिला सुरक्षा से संबंधित समकालीन मुद्दे के संदर्भ में कहा। उनके इस बयान का उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ अपराधों के ऐतिहासिक पहलू को उजागर करना था, लेकिन धार्मिक ग्रंथ से तुलना करने पर विभिन्न समुदायों और विचारकों ने इस पर आपत्ति जताई है। सेकर बाबू के बयान ने महिला सुरक्षा के मुद्दे पर एक नई बहस को जन्म दिया है, जिसे लेकर कई जगहों पर आलोचना हो रही है।

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कर्नाटका के मुख्यमंत्री सिद्धरामैया का 'मेगा प्रदर्शन': महंगाई के खिलाफ बेंगलुरु में विरोध28 Apr 25

कर्नाटका के मुख्यमंत्री सिद्धरामैया का 'मेगा प्रदर्शन': महंगाई के खिलाफ बेंगलुरु में विरोध

कर्नाटका के मुख्यमंत्री सिद्धरामैया आज बेंगलुरु में एक विशाल विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करेंगे, जिसका उद्देश्य केंद्रीय सरकार की महंगाई पर नियंत्रण न करने की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाना है। इस विरोध को आयोजकों ने "मेगा प्रदर्शन" करार दिया है, और इसका मुख्य उद्देश्य आम नागरिकों पर महंगाई के असर को उजागर करना और केंद्र सरकार पर इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाने का दबाव बनाना है। मुख्यमंत्री सिद्धरामैया और उनके कैबिनेट मंत्रियों के अलावा, कर्नाटका की सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के सदस्य भी इस प्रदर्शन में भाग लेंगे। आयोजक उम्मीद कर रहे हैं कि राज्य भर से समर्थक इस विरोध में शामिल होंगे, ताकि वे आवश्यक वस्त्रों और सेवाओं की बढ़ती कीमतों के खिलाफ अपनी चिंता व्यक्त कर सकें।

"जम्मू-कश्मीर के रियासी में बढ़ती आतंकी हलचल : बाइसरण हमले ने बढ़ाई चिंता"28 Apr 25

"जम्मू-कश्मीर के रियासी में बढ़ती आतंकी हलचल : बाइसरण हमले ने बढ़ाई चिंता"

जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के बाइसरण घास के मैदान में पांच ग्रामीणों की हालिया हत्या ने एक बार फिर से क्षेत्र में आतंकवाद के पुनर्जीवन को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी कर दी हैं, खासकर उन इलाकों में जो अब तक अपेक्षाकृत शांत माने जाते थे। हालांकि जांच अभी जारी है, लेकिन प्रारंभिक संकेत इस हमले को पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों की साजिश से जोड़ते हैं, जो अक्सर असुरक्षित आबादी को निशाना बनाकर क्षेत्र में अशांति फैलाने की कोशिश करते हैं। पर्यटकों के बीच लोकप्रिय बाइसरण में हुआ यह हमला बताता है कि आतंकी अब अपने तौर-तरीकों में बदलाव कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सुरक्षा बलों द्वारा संगठित आतंकी नेटवर्क पर बढ़ते दबाव के चलते अब ये समूह 'सॉफ्ट टारगेट्स' यानी आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं, ताकि डर का माहौल बनाया जा सके और वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित किया जा सके।

राष्ट्रीय सुरक्षा: आतंकवाद और सीमा सुरक्षा के खिलाफ एक समग्र और सहयोगात्मक दृष्टिकोण28 Apr 25

राष्ट्रीय सुरक्षा: आतंकवाद और सीमा सुरक्षा के खिलाफ एक समग्र और सहयोगात्मक दृष्टिकोण

विश्व स्तर पर बढ़ते संकट और जटिलता के बीच, राष्ट्रीय सुरक्षा हमेशा से एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। हाल की घटनाएँ, चाहे वे घरेलू हों या अंतरराष्ट्रीय, यह सिद्ध करती हैं कि आतंकवाद का खतरा लगातार बना हुआ है और मजबूत सीमा सुरक्षा उपायों की आवश्यकता और भी अधिक महसूस हो रही है। अब, पहले से कहीं अधिक, एक एकजुट दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो राजनीतिक विभाजन से परे हो, ताकि देश और इसके नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। आतंकवाद का खतरा निरंतर विकसित हो रहा है, जिसमें घरेलू चरमपंथी समूहों और विदेशी तत्वों दोनों से महत्वपूर्ण जोखिम उत्पन्न हो रहे हैं। आतंकवाद विरोधी प्रयासों को व्यापक, खुफिया-आधारित और उभरती हुई रणनीतियों के प्रति अनुकूल बनाना आवश्यक है। इसके लिए संघीय, राज्य और स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच बेहतर सहयोग की आवश्यकता है, साथ ही अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान भी महत्वपूर्ण है। केवल प्रतिक्रियात्मक उपायों से काम नहीं चलेगा; आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए सक्रिय रणनीतियाँ भी आवश्यक हैं। इनमें समुदाय से जुड़ाव, शिक्षा, और मानसिक स्वास्थ्य सहायता के माध्यम से चरमपंथी विचारधारा के कारणों का समाधान करना शामिल है। इसके अलावा, ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों जगहों पर चरमपंथी नारों का मुकाबला करना भी जरूरी है, ताकि नफरत फैलाने वाली विचारधाराओं का प्रसार रोका जा सके।

 पाकिस्तान में भारत का दूतावास: 2020 के बाद घटती हुई भूमिका और तनावपूर्ण कूटनीतिक संबंध28 Apr 25

पाकिस्तान में भारत का दूतावास: 2020 के बाद घटती हुई भूमिका और तनावपूर्ण कूटनीतिक संबंध

भारत का पाकिस्तान में दूतावास, जो कभी विदेशों में सबसे बड़े भारतीय कूटनीतिक मिशनों में से एक था, अब 2020 से अपनी भूमिका और आकार में महत्वपूर्ण कमी का सामना कर रहा है। यह बदलाव भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनावपूर्ण रिश्तों को दर्शाता है, खासकर तब से जब 2019 में धारा 370 की वापसी के बाद जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा हटा दिया गया था। पाकिस्तान ने इस कदम की कड़ी निंदा की, जिसके बाद कूटनीतिक संबंधों में कई प्रतिशोधात्मक उपाय किए गए, जिनमें द्विपक्षीय संबंधों को कमजोर करना और कूटनीतिक प्रतिनिधित्व को घटाना शामिल था। पहले, इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग न केवल एक अहम कूटनीतिक लिंक के रूप में कार्य करता था, बल्कि यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान और वीज़ा प्रक्रिया का भी प्रमुख केंद्र था। भारतीय दूतावास में बड़े पैमाने पर कूटनीतिज्ञ, कांसुलर अधिकारी और सहायक कर्मचारी कार्यरत थे, जो द्विपक्षीय वार्ताओं से लेकर लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने तक कई गतिविधियों का संचालन करते थे। हालांकि, राजनीतिक और कूटनीतिक हालात में आए बदलाव ने इस दूतावास की कार्यप्रणाली को सीमित कर दिया है।

महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार की सुलह की संभावना, राजनीति में नई हलचल23 Apr 25

महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार की सुलह की संभावना, राजनीति में नई हलचल

मुंबई, भारत – महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई चर्चा गर्म हो रही है, जिसमें उधव ठाकरे (शिवसेना-यूबीटी) और राज ठाकरे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) के बीच सुलह की संभावनाओं पर कयास लगाए जा रहे हैं। पिछले कुछ हफ्तों में, राजनीतिक विश्लेषकों और अंदरूनी सूत्रों द्वारा इस संभावित सुलह पर विचार व्यक्त किए गए हैं, जिससे राज्य की राजनीतिक स्थिति में एक बदलाव की संभावना जगी है। इन चर्चाओं का मुख्य मुद्दा यह है कि ऐसी सुलह के लिए क्या शर्तें हो सकती हैं। हालांकि, दोनों नेताओं ने इस विषय पर अभी तक सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, उधव ठाकरे राज ठाकरे के साथ सुलह के खिलाफ नहीं होंगे, बशर्ते कि राज बीजेपी और शिंदे गुट से खुद को अलग कर लें। यह घटनाक्रम न केवल ठाकरे परिवार के बीच बल्कि राज्य की राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है, जिसमें विभिन्न राजनीतिक गठबंधन और सत्ता समीकरणों का पुनः निर्धारण हो सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि ठाकरे परिवार की सुलह की दिशा में क्या कदम उठाए जाते हैं और इसका राज्य की राजनीति पर क्या असर पड़ता है।

अखिलेश यादव की नजर 2027 पर, क्या उनकी रणनीति 2024 की सफलता या 2017 की हार को दोहराएगी?23 Apr 25

अखिलेश यादव की नजर 2027 पर, क्या उनकी रणनीति 2024 की सफलता या 2017 की हार को दोहराएगी?

लखनऊ, उत्तर प्रदेश – समाजवादी पार्टी (SP) के प्रमुख अखिलेश यादव ने 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारियां तेज़ कर दी हैं, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या उनकी रणनीति 2024 लोकसभा चुनावों की सफलता को दोहराएगी या फिर 2017 विधानसभा चुनावों की निराशा को। अखिलेश यादव की पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन 2017 में उनकी पार्टी को विधानसभा चुनावों में भारी नुकसान उठाना पड़ा था। अब, यादव 2027 चुनावों के लिए एक नई रणनीति पर काम कर रहे हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वह अपनी पूर्व गलतियों से कुछ सीखते हैं और उन मुद्दों पर फोकस करते हैं जो मतदाताओं को आकर्षित कर सकें। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश यादव को अपनी रणनीति में बदलाव लाना होगा और राज्य की बदलती राजनीतिक परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढालना होगा, ताकि 2027 में वह राज्य की राजनीति में अपनी स्थिति मजबूत कर सकें।

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