पुणे में GBS का प्रकोप: तेजी से मांसपेशियों का फेल होना बढ़ा चिंता, डॉक्टरों ने बताया क्यों हर मामला है अलग26 Feb 25

पुणे में GBS का प्रकोप: तेजी से मांसपेशियों का फेल होना बढ़ा चिंता, डॉक्टरों ने बताया क्यों हर मामला है अलग

26 फरवरी 2025 (UNA) : पुणे में गिलेन-बारे सिंड्रोम (GBS) के प्रकोप और इस बीमारी से हुई नौवीं मौत ने डॉक्टरों को हैरान कर दिया है। कुछ मरीजों में इस बीमारी की असामान्य रूप से तेज़ी से प्रगति हो रही है, जिससे चिंता और बढ़ गई है। हाल ही में वाघोली निवासी 34 वर्षीय व्यक्ति की 15 फरवरी को इस बीमारी से मृत्यु हो गई।

ससून जनरल अस्पताल और YCM अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार, GBS कोई नई बीमारी नहीं है, लेकिन हाल के मामलों में जिस तेजी से लकवा फैला है, वह चिंताजनक है। वाघोली के मरीज को 23 से 25 जनवरी के बीच पहले दस्त हुए, फिर 2 फरवरी तक उसके निचले अंगों में झनझनाहट और ताकत की कमी महसूस होने लगी। मात्र छह घंटों के भीतर ही लक्षण उसके ऊपरी अंगों में भी फैल गए — जो कि एक दुर्लभ और आक्रामक प्रगति है। अत्यधिक चिकित्सा हस्तक्षेप के बावजूद, मरीज में कोई सुधार नहीं दिखा।

सामान्यत: GBS के लक्षण कुछ दिनों में विकसित होते हैं, लेकिन हाल के मामलों में लकवे ने कुछ घंटों के भीतर ही तेज़ी से असर दिखाया है। यह बीमारी न केवल हाथ-पैरों को बल्कि श्वसन और चेहरे की मांसपेशियों को भी प्रभावित कर रही है, जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है। - UNA

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जब लोग स्वास्थ्य सुधारने और वजन घटाने के लिए महंगे जिम या जटिल डाइट प्लान अपनाने की कोशिश में जुटे हैं, तब विशेषज्ञों का ध्यान एक बेहद आसान और कारगर उपाय की ओर गया है – सुबह की नियमित सैर। रिसर्च और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, हर दिन तय समय तक की गई मॉर्निंग वॉक न केवल संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है, बल्कि पेट की चर्बी जैसी जिद्दी समस्याओं से निपटने में भी आश्चर्यजनक रूप से प्रभावी होती है। यह सरल आदत न केवल शरीर को सक्रिय रखती है, बल्कि मानसिक तनाव कम करने, हृदय को मजबूत करने और मेटाबॉलिज़्म को बढ़ावा देने में भी मदद करती है। हर उम्र के लोग इसे अपने रूटीन में शामिल कर सकते हैं – बिना किसी खर्च या उपकरण के। सुबह की ताज़ी हवा और हल्की धूप के बीच की गई वॉक न केवल शरीर के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह एक मानसिक रिचार्ज की तरह भी काम करती है।