नई दिल्ली, भारत (UNA) : भारत की अर्थव्यवस्था ने 2025 में उम्मीद से कहीं अधिक प्रदर्शन किया और वास्तविक GDP वृद्धि कई वैश्विक अनुमानों से ऊपर रही। मजबूत उपभोग, सेवा क्षेत्र की तेज़ी और विनिर्माण गतिविधियों में सुधार ने अर्थव्यवस्था को नई गति दी। इस सकारात्मक वृद्धि ने भारत को वैश्विक स्तर पर सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में बनाए रखा है।
हालांकि, नाममात्र GDP वृद्धि में सुस्ती एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई है। कम मुद्रास्फीति और उत्पादकता में धीमी बढ़ोतरी के कारण नाममात्र वृद्धि अपेक्षा से कम रही, जिससे सरकारी राजस्व और कंपनियों के मुनाफ़े पर दबाव बढ़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि नाममात्र GDP सीधे टैक्स कलेक्शन और निवेश क्षमता को प्रभावित करता है, इसलिए इसकी कमजोरी लंबे समय में जोखिम पैदा कर सकती है।
इसके अलावा, कम नाममात्र वृद्धि का असर वेतन वृद्धि, कॉर्पोरेट आय और आर्थिक भावना पर भी दिख सकता है। वित्तीय बाज़ारों में भी इसका प्रभाव देखने को मिला है, जहाँ निवेशकों ने सतर्क रुख अपनाया है।
कुल मिलाकर, भले ही वास्तविक GDP का प्रदर्शन मजबूत रहा हो, लेकिन नाममात्र वृद्धि में कमी से आर्थिक स्थिरता और भविष्य की निवेश योजनाओं पर असर पड़ सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार को मांग बढ़ाने, उपभोग को प्रोत्साहित करने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित सीमा में बनाए रखने के लिए संतुलित रणनीति अपनानी होगी। - UNA















