नई दिल्ली, भारत (UNA) : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा भारत को दी गई ‘C’ ग्रेड ने आर्थिक विश्लेषकों और उद्योग जगत में नई चर्चाओं को जन्म दिया है। रिपोर्ट के अनुसार यह ग्रेड कुछ संरचनात्मक चुनौतियों और वैश्विक अनिश्चितताओं के आधार पर निर्धारित की गई है, लेकिन कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मूल्यांकन भारत की वास्तविक आर्थिक क्षमता को पूरी तरह नहीं दर्शाता।
देश की तेज़ GDP वृद्धि, मजबूत सेवा क्षेत्र, डिजिटल इकोनॉमी का विस्तार और निरंतर विदेशी निवेश प्रवाह भारत की आर्थिक नींव को स्थिर बनाए हुए हैं। साथ ही, सरकार द्वारा ढांचागत विकास, विनिर्माण बढ़ाने और नौकरी सृजन पर जोर देने से आर्थिक परिदृश्य और मजबूत हुआ है।
इसी बीच वैश्विक स्तर पर मंदी की आशंकाओं, आपूर्ति श्रृंखला चुनौतियों और भू-राजनीतिक तनावों के बावजूद भारत अपनी वृद्धि दर बनाए रखने में सफल रहा है। आर्थिक जानकारों का मानना है कि IMF की ग्रेडिंग एक संकेतक जरूर है, पर भारत का वास्तविक प्रदर्शन इससे कहीं व्यापक और अधिक सकारात्मक दिशा में दिखाई देता है। - UNA















