नई दिल्ली (UNA) : महामारी के बाद के वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा सेस के उपयोग में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। ताज़ा वित्तीय आकलनों के अनुसार, FY23 और FY25 के दौरान सरकार ने सेस की जितनी राशि संग्रहित की, उससे अधिक राशि खर्च में चली गई, जिससे समग्र उपयोग 100% से अधिक हो गया। यह प्रवृत्ति दर्शाती है कि महामारी के बाद आर्थिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे को मजबूती देने के लिए सरकार ने अतिरिक्त संसाधनों का उपयोग किया है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, सेस का बढ़ा हुआ खर्च शिक्षा, स्वास्थ्य, अवसंरचना और सामाजिक कल्याण जैसी प्राथमिक क्षेत्रों पर केंद्रित है, जहां महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत पड़ी। सरकार का तर्क है कि ऐसे अतिरिक्त व्यय से आर्थिक गतिविधियों को गति मिलती है और रोजगार सृजन में भी मदद मिलती है।
हालांकि, बढ़ते उपयोग को लेकर पारदर्शिता और फंड के संतुलन की बहस भी सामने आई है। कई अर्थशास्त्री इसे दीर्घकालिक वित्तीय प्रबंधन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बताते हैं, लेकिन यह भी मानते हैं कि वर्तमान परिस्थिति में अतिरिक्त खर्च आवश्यक था। - UNA















