स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने आरएसएस को बताया “दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ”, विपक्ष ने किया तीखा वार25 Aug 25

स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने आरएसएस को बताया “दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ”, विपक्ष ने किया तीखा वार

नई दिल्ली (UNA) : – स्वतंत्रता दिवस के 79वें अवसर पर लालकिले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शताब्दी पर उसकी खुलकर सराहना की। प्रधानमंत्री ने संघ को दुनिया का “सबसे बड़ा एनजीओ” बताते हुए कहा कि उसके स्वयंसेवकों ने बीते 100 वर्षों में “गौरवपूर्ण और अनुकरणीय सेवा” से राष्ट्र को नई दिशा दी है।

यह पहला अवसर है जब किसी प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में सीधे तौर पर RSS की प्रशंसा की है। राजनीतिक हलकों में इसे एक अत्यंत महत्वपूर्ण और विवादास्पद बयान माना जा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी के भाषण की प्रमुख बातें

  • RSS की तारीफ़
    मोदी ने संघ को “सेवा और समर्पण का प्रतीक” बताते हुए कहा कि उसके स्वयंसेवकों ने आपदा राहत, समाज सेवा और सांस्कृतिक संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है।

  • ऑपरेशन सिंदूर
    प्रधानमंत्री ने हाल ही में संपन्न ऑपरेशन सिंदूर का ज़िक्र करते हुए भारतीय सेना की सराहना की। इस अभियान में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) स्थित आतंकी ठिकानों पर सफल कार्रवाई की गई थी। मोदी ने कहा कि “हमारे सैनिकों ने देश की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा अपने प्राणों की बाज़ी लगाकर की है।”

  • आत्मनिर्भर भारत
    मोदी ने रक्षा उत्पादन, डिजिटल टेक्नॉलॉजी और स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों को गिनाया और कहा कि भारत ने कोविड महामारी से लेकर सीमा सुरक्षा तक हर चुनौती का सामना बिना विदेशी मदद पर निर्भर हुए किया है।

  • वैश्विक भूमिका
    उन्होंने युवाओं, उद्यमियों और सोशल मीडिया प्रभावशाली व्यक्तियों (influencers) से भारत के विकास पथ में योगदान देने की अपील की और आगाह किया कि देश को अमेरिकी और पश्चिमी व्यापार तंत्र पर अत्यधिक निर्भर नहीं होना चाहिए।

    विपक्ष की तीखी प्रतिक्रियाएँ

RSS का ज़िक्र भाषण का सबसे विवादास्पद हिस्सा साबित हुआ और विपक्षी दलों ने तुरंत प्रतिक्रिया दी।

  • कांग्रेस: पार्टी प्रवक्ता जयराम रमेश ने भाषण को “बासी, पाखंडी और नीरस” बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री “सिर्फ संघ को खुश करने की कोशिश” कर रहे हैं।

  • असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM): ओवैसी ने कहा कि लालकिले से RSS का ज़िक्र करना “स्वतंत्रता संग्राम का अपमान” है। उन्होंने याद दिलाया कि संघ ने आज़ादी के आंदोलनों से दूरी बनाए रखी थी।

  • वामपंथी दल: CPI(M) नेता एम.ए. बेबी ने मोदी पर “शहीदों का अपमान” करने का आरोप लगाया और कहा कि प्रधानमंत्री ने एक “विभाजनकारी संगठन” को महिमामंडित किया है।

  • केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन: विजयन ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री “इतिहास को फिर से लिखने” की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद RSS पर प्रतिबंध लगाया गया था, और चेतावनी दी कि गांधी की जगह सावरकर जैसे विवादास्पद नेताओं को महिमामंडित करना देश के लिए ख़तरनाक है।

राजनीतिक संदर्भ और निहितार्थ

RSS, जिसकी स्थापना 1925 में हुई थी, लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी (BJP) का वैचारिक आधार माना जाता है। भाजपा नेताओं ने हमेशा संघ के संगठनात्मक योगदान को स्वीकार किया है, लेकिन आज़ादी दिवस जैसे राष्ट्रीय अवसर पर इसकी खुलकर प्रशंसा करना अभूतपूर्व माना जा रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम RSS की शताब्दी वर्षगाँठ पर भाजपा के समर्थन आधार को और मज़बूत करने की रणनीति है। हालांकि, इससे विपक्ष को भी यह कहने का मौका मिल गया है कि सरकार देश की बहुलतावादी परंपराओं को कमजोर कर रही है।

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और आत्मनिर्भर भारत पर ज़ोर देने के बीच RSS का ज़िक्र इस बात का संकेत माना जा रहा है कि सरकार राष्ट्रवाद, सैन्य गौरव और वैचारिक आधार—तीनों को जोड़कर आगामी चुनावी माहौल तैयार करना चाहती है। - UNA

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