नई दिल्ली (UNA) : — प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बड़ा मामला दर्ज किया है जिसमें छात्रों और बिचौलियों के ऐसे नेटवर्क का खुलासा हुआ है, जो जाली एनआरआई (गैर-आवासीय भारतीय) दस्तावेज़ों का इस्तेमाल कर देशभर के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की सीटें हासिल कर रहे थे। जांच की शुरुआत 2024 की शुरुआत में हुई थी, जो अब फर्जी प्रमाणपत्रों, बैंक स्टेटमेंट और एडमिशन लेटर की बरामदगी तक पहुंच चुकी है। ये दस्तावेज़ निजी और सरकारी दोनों प्रकार के मेडिकल कॉलेजों से जुड़े पाए गए हैं।
ईडी द्वारा गुरुवार को जारी बयान के मुताबिक, इस फर्जीवाड़े में विदेशी निवास प्रमाणपत्र, पासपोर्ट की प्रतियां और आयकर रिटर्न जैसे दस्तावेज़ तैयार किए गए, ताकि एनआरआई कोटे की पात्रता पूरी की जा सके। ये दस्तावेज़ उन्नत सॉफ़्टवेयर से बनाए गए थे और कॉलेजों की एडमिशन कमेटियों को सौंप दिए गए। कई मामलों में कॉलेज प्रशासन दस्तावेज़ों की असलियत की सही तरह से जांच करने में नाकाम रहा।
ईडी के प्रवक्ता ने कहा, “फर्जी एनआरआई दस्तावेज़ों के आधार पर एडमिशन लेना मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा बनाए गए मेरिट आधारित सिस्टम को कमजोर करता है। हमारी जांच से साबित हुआ है कि यह कोई इक्का-दुक्का मामला नहीं, बल्कि सुनियोजित नेटवर्क है, जिसमें छात्रों के साथ-साथ बिचौलिए और कुछ संस्थानिक लोग भी शामिल हैं।”
इस कार्रवाई में ईडी ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) और राज्य शिक्षा विभागों के साथ मिलकर छापेमारी की। इसमें चार लोगों को गिरफ्तार किया गया—दो फर्जी दस्तावेज़ बनाने वाले, एक कॉलेज प्रशासक और एक बिचौलिया, जो छात्रों को इस नेटवर्क से जोड़ने का काम करता था। साथ ही 12 छात्रों की पहचान की गई है जिन्होंने इस फर्जीवाड़े का फायदा उठाया। इन छात्रों पर कार्रवाई के तहत एडमिशन रद्द किए जाने से लेकर मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने तक की सिफारिश हो सकती है।
इस पूरे घोटाले ने पेशेवर कोर्सों की प्रवेश प्रक्रिया में खामियों को उजागर कर दिया है। एम्स की वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. अंजलि मेहता ने कहा, “एनआरआई कोटे का मकसद असली विदेशी छात्रों को अवसर देना है, ताकि वे विविध दृष्टिकोण और आर्थिक सहयोग ला सकें। जब इस सिस्टम का दुरुपयोग होता है तो यह पारदर्शिता को तोड़ता है और उन भारतीय छात्रों के साथ अन्याय करता है जो मेरिट पर निर्भर रहते हैं।”
शिक्षा मंत्री राजीव कुमार ने संसद में कहा कि केंद्र सरकार एनआरआई एडमिशन के लिए डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन को और सख्त करेगी। उन्होंने घोषणा की कि अब विदेशी निवास दावों को परखने के लिए एक केंद्रीकृत डिजिटल वेरिफिकेशन सिस्टम लागू किया जाएगा। साथ ही ईडी, नेशनल मेडिकल कमीशन और राज्य शिक्षा मंत्रालयों के प्रतिनिधियों की एक टास्क फोर्स बनाई जाएगी, जो मेडिकल कॉलेजों के एडमिशन रिकॉर्ड की ऑडिट करेगी।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला भविष्य में फर्जी एडमिशन घोटालों पर सख्त कार्रवाई की मिसाल बन सकता है। एडवोकेट प्रिया नायर के अनुसार, “अगर अदालत यह मान लेती है कि इन एडमिशन में मनी लॉन्ड्रिंग शामिल थी, तो न केवल शिक्षा क्षेत्र बल्कि वित्तीय नियमों के अनुपालन पर भी सख्ती बढ़ेगी।”
इधर छात्र संगठनों और अभिभावक संघों ने मांग की है कि दोषी छात्रों को भविष्य में किसी भी संस्थान में दाखिले से वंचित किया जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि असली एनआरआई छात्रों को अनावश्यक जांच-पड़ताल से परेशानी न हो।
ईडी ने संकेत दिया है कि जांच अभी जारी है और आने वाले समय में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट वित्तीय वर्ष के अंत तक विधि एवं न्याय मंत्रालय को सौंपी जाएगी। - UNA