गुवाहाटी (UNA) : — असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के लागू होने के बाद अब तक राज्य में केवल तीन लोगों को ही भारतीय नागरिकता दी गई है। उन्होंने यह भी बताया कि नौ और आवेदन वर्तमान में जांच के अधीन हैं।
सरमा ने स्पष्ट किया कि सीएए के ज़रिए बड़ी संख्या में विदेशियों को नागरिकता मिलने का जो डर जताया जा रहा था, वह वास्तविकता से बहुत दूर है। उन्होंने कहा, “यह अनुमान लगाया जा रहा था कि लाखों लोग आवेदन करेंगे, लेकिन असल में संख्या बेहद कम है।”
गौरतलब है कि 2019 में पारित और मार्च 2024 में अधिसूचित सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के वे लोग, जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत में प्रवेश कर चुके हैं, नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
हालांकि, इस कानून का असम में कड़ा विरोध हुआ है। विरोधियों का कहना है कि यह 1985 के असम समझौते की मूल भावना को कमजोर करता है, जिसमें 24 मार्च 1971 को अवैध प्रवासियों की पहचान की अंतिम तिथि तय की गई थी। आलोचकों को आशंका है कि सीएए से असम की जनसांख्यिकीय संरचना और सांस्कृतिक पहचान पर असर पड़ सकता है।
राज्य सरकार फिलहाल ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन स्वीकार कर रही है और अंतिम मंजूरी के लिए इन्हें सशक्त समितियों को भेजा जा रहा है। अब तक प्राप्त बेहद सीमित आवेदनों की संख्या को सरकार इस बात के प्रमाण के रूप में पेश कर रही है कि असम पर सीएए का प्रभाव न्यूनतम रहेगा। - UNA