बिहार चुनाव 2025: सर्वे में NDA को बढ़त, BJP बनी प्रमुख ताक़त, JDU को झटका28 Aug 25

बिहार चुनाव 2025: सर्वे में NDA को बढ़त, BJP बनी प्रमुख ताक़त, JDU को झटका

पटना (UNA) : – बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही सियासी हलचल तेज़ हो गई है। इसी बीच आए एक शुरुआती जनमत सर्वेक्षण (Opinion Poll) ने सत्ताधारी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को महागठबंधन पर स्पष्ट बढ़त दी है। इस सर्वेक्षण ने राज्य की राजनीति में संभावित बदलाव के संकेत दे दिए हैं।

सर्वे के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस बार उल्लेखनीय बढ़त हासिल कर सकती है और एनडीए के भीतर प्रमुख शक्ति के रूप में उभरने की संभावना है। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जदयू (जन्मता दल-यूनाइटेड) की सीटों में कमी आने का अनुमान जताया गया है। अगर यह रुझान अंतिम नतीजों तक कायम रहता है, तो एनडीए के भीतर समीकरण बदल सकते हैं और भाजपा की भूमिका और भी मज़बूत हो सकती है।

हालांकि, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जनमत सर्वेक्षण केवल मौजूदा माहौल और जनता की तत्कालीन राय को दर्शाते हैं। चुनाव में अभी महीनों का समय बाकी है, ऐसे में चुनावी रणनीतियां, नेताओं के बयान और अप्रत्याशित घटनाएं मतदाताओं का रुझान बदल भी सकती हैं।

आने वाले हफ्तों में एनडीए और महागठबंधन, दोनों ही अपने-अपने मतदाता आधार को मजबूत करने के लिए चुनावी गतिविधियों में तेज़ी लाने वाले हैं। एनडीए के लिए जदयू की संभावित गिरावट चुनौती पेश कर सकती है, जबकि महागठबंधन के सामने भाजपा के बढ़ते प्रभाव को रोकना सबसे बड़ा इम्तिहान होगा।

विशेषज्ञ मानते हैं कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे सिर्फ राज्य की सत्ता तय नहीं करेंगे, बल्कि इसका असर राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ सकता है। - UNA

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आगामी विधानसभा चुनावों से पहले बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने चुनावी अभियान को और तेज़ कर दिया है। पार्टी ने अवैध घुसपैठ के मुद्दे को चुनावी बहस का प्रमुख केंद्र बना दिया है, खासकर राजनीतिक रूप से संवेदनशील सीमांचल क्षेत्र में। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं ने इस विषय को सीधे जनता के सामने रखा है। उन्होंने विपक्षी दलों पर तुष्टिकरण की राजनीति करने और राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाया है। बीजेपी की रणनीति स्पष्ट करती है कि वह सीमांचल को न केवल चुनावी मुद्दा बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और पहचान की राजनीति से जोड़कर जनता के बीच अपनी पैठ मजबूत करना चाहती है। यह चुनावी विमर्श आने वाले दिनों में राज्य की सियासत को और अधिक गरमा सकता है।