नई दिल्ली (UNA) : भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने अपनी चुनावी शुचिता अभियान को तेज़ करते हुए 474 और पंजीकृत अप्रमाणित राजनीतिक दलों (RUPPs) को निष्क्रियता के चलते सूची से बाहर कर दिया है। 18 सितंबर 2025 को की गई इस घोषणा के साथ आयोग की यह कार्रवाई उसके बड़े पैमाने पर चल रहे अभियान का दूसरा चरण है।
इस ताज़ा कदम के बाद बीते दो महीनों में कुल 808 पार्टियों को सूची से हटा दिया गया है। इससे पहले, 9 अगस्त 2025 को आयोग ने 334 दलों को इसी आधार पर डीलिस्ट किया था।
यह कार्रवाई जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों पर आधारित है, जिसके तहत कोई भी राजनीतिक दल यदि लगातार छह वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ता है तो उसे रजिस्टर से हटाया जा सकता है। आयोग के मुताबिक, इस चरण में चिन्हित 474 दल इस वैधानिक शर्त का पालन करने में असफल पाए गए।
धारा 29A के तहत पंजीकरण से राजनीतिक दलों को महत्वपूर्ण सुविधाएँ मिलती हैं—जैसे एक समान चुनाव चिह्न और आयकर कानूनों के अंतर्गत छूट। निष्क्रिय दलों को हटाकर आयोग इन विशेषाधिकारों के दुरुपयोग पर रोक लगाने और चुनावी पारदर्शिता को मज़बूत करना चाहता है।
इसके अलावा, आयोग ने 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले 359 अन्य RUPPs के खिलाफ भी कार्यवाही शुरू की है। इन दलों ने लगातार तीन वित्तीय वर्षों (2021–22, 2022–23 और 2023–24) की वार्षिक ऑडिटेड रिपोर्ट जमा नहीं की है। साथ ही, चुनाव लड़ने के बावजूद उन्होंने अपने अनिवार्य चुनावी व्यय विवरण भी नहीं सौंपे।
न्यायिक प्रक्रिया के पालन हेतु आयोग ने संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) को निर्देश दिया है कि वे इन दलों को कारण बताओ नोटिस जारी करें। प्रत्येक दल को अपने पक्ष रखने का अवसर दिया जाएगा। इसके बाद प्राप्त रिपोर्टों के आधार पर ECI उनके संभावित डीलिस्टिंग पर अंतिम निर्णय लेगा।
यह व्यापक अभियान आयोग की चुनावी ईमानदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही की प्रतिबद्धता को दर्शाता है—जहाँ एक ओर शेल (कागज़ी) दलों को हटाया जा रहा है, वहीं सक्रिय दलों को वित्तीय और कानूनी मानकों का पालन करने के लिए बाध्य किया जा रहा है। - UNA