नई दिल्ली (UNA) : सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच इस सप्ताह हुए नए रक्षा सहयोग समझौते पर भारत ने सतर्क रुख अपनाया है। भारत ने साफ़ किया है कि वह इस समझौते की बारीकी से समीक्षा करेगा और इसके राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों का आकलन करेगा।
विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने गुरुवार को मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, “हमने इस समझौते से जुड़ी रिपोर्टें देखी हैं। यह एक ऐसा मसला है जिस पर कुछ समय से विचार चल रहा था। हम इसकी सामग्री और इसके राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर का अध्ययन करेंगे।”
अधिकारियों के अनुसार, यह समझौता मूल रूप से रियाद और इस्लामाबाद के बीच लंबे समय से चले आ रहे रक्षा संबंधों को औपचारिक रूप देता है। इसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास, पाकिस्तानी संस्थानों में सऊदी कर्मियों का प्रशिक्षण और क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर घनिष्ठ सहयोग पहले से शामिल है।
भारत की यह संयमित प्रतिक्रिया उसके कूटनीतिक संतुलन को बनाए रखने की आवश्यकता को दर्शाती है। यह विकास ऐसे समय में सामने आया है जब नई दिल्ली अपनी सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों के साथ साझेदारी को और गहरा कर रहा है। हाल के वर्षों में भारत और सऊदी अरब ने अपने रिश्तों को स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल स्तर तक बढ़ाया है, जिसमें ऊर्जा, निवेश, आतंकवाद विरोधी सहयोग और रक्षा जैसे क्षेत्रों में संबंध मज़बूत हुए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की यह सतर्क प्रतिक्रिया रियाद के साथ मज़बूत संबंध बनाए रखने की उसकी प्राथमिकता को दिखाती है, भले ही पाकिस्तान खाड़ी क्षेत्र में अपनी रक्षा मौजूदगी बढ़ाने की कोशिश कर रहा हो। फिलहाल नई दिल्ली नज़दीकी से देखेगा कि सऊदी-पाकिस्तान समझौता व्यावहारिक सहयोग में कैसे बदलता है और क्या यह क्षेत्रीय सुरक्षा संतुलन को प्रभावित करता है। - UNA