"बैंकिंग स्टॉक्स की रैली के बावजूद निफ्टी और बैंक निफ्टी पर मंदी का साया : सुशील केडिया"28 Apr 25

"बैंकिंग स्टॉक्स की रैली के बावजूद निफ्टी और बैंक निफ्टी पर मंदी का साया : सुशील केडिया"

मुंबई, भारत (UNA) :  – हाल ही में बैंकिंग शेयरों में आई तेज़ी के बावजूद, जाने-माने मार्केट विश्लेषक सुशील केडिया का मानना है कि निफ्टी और बैंक निफ्टी दोनों में गिरावट का सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ है। अपने ताज़ा बाज़ार विश्लेषण में केडिया ने चेतावनी दी कि बैंकिंग सेक्टर में आई रैली के बावजूद, समग्र बाजार में मंदी का माहौल बरकरार है और आने वाले समय में इन सूचकांकों में नए निचले स्तर देखने को मिल सकते हैं।

सुशील केडिया, जो अपनी तकनीकी विश्लेषण शैली और सटीक भविष्यवाणियों के लिए जाने जाते हैं, का कहना है कि भले ही बैंकिंग स्टॉक्स में मजबूती दिखी हो, लेकिन व्यापक बाज़ार का रुख अब भी कमजोर है। इसके पीछे उन्होंने कई कारण बताए – वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, बढ़ती महंगाई और ब्याज दरों में संभावित बढ़ोतरी प्रमुख कारण हैं।

उन्होंने कहा, "बैंकिंग सेक्टर में हालिया तेजी एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन इसे मौजूदा मंदी के माहौल के पलटाव के रूप में नहीं देखना चाहिए। निफ्टी और बैंक निफ्टी दोनों ही अब भी कई बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। मेरा मानना है कि आने वाले हफ्तों में हम इन सूचकांकों में नए निचले स्तर देख सकते हैं।"

केडिया ने अपने विश्लेषण में कई तकनीकी संकेतकों और बाज़ार पैटर्न्स का हवाला देते हुए बताया कि बाजार पर अभी भी दबाव बना हुआ है। उन्होंने निवेशकों को आगाह किया कि इस समय आक्रामक खरीदारी से बचें और पूंजी की रक्षा को प्राथमिकता दें। साथ ही, उन्होंने रणनीतिक शॉर्ट पोजीशन अपनाने की सलाह दी।

हाल के हफ्तों में निफ्टी काफी उतार-चढ़ाव का सामना कर रहा है और अहम रेजिस्टेंस लेवल्स के ऊपर टिकने में असफल रहा है। वहीं बैंक निफ्टी, ताजा तेजी के बावजूद, अपने पिछले उच्च स्तरों से नीचे ही बना हुआ है और अहम रेजिस्टेंस ज़ोन को पार करने में संघर्ष कर रहा है।

केडिया जैसे बड़े विश्लेषक की इस मंदी वाली राय ने बाजार में पहले से ही फैली सतर्कता को और बढ़ा दिया है। जहां कुछ निवेशक बैंकिंग सेक्टर में तेजी को संभावित रिकवरी का संकेत मान रहे हैं, वहीं कई अन्य अभी भी वैश्विक हालात और नए नकारात्मक झटकों की आशंका को लेकर सतर्क बने हुए हैं।

निवेशकों को मौजूदा बाजार अस्थिरता को देखते हुए अपनी जोखिम क्षमता का गंभीरता से मूल्यांकन करना चाहिए और निवेश रणनीतियों में सावधानी बरतनी चाहिए। आगे का रास्ता तय करने के लिए बाजार रुझानों और विशेषज्ञों की राय पर करीबी नजर बनाए रखना बेहद जरूरी होगा। - UNA

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस सप्ताह एक नए ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO) खरीद दौर की घोषणा की है, जिसका मकसद वित्तीय प्रणाली में नकदी प्रवाह बढ़ाना और बढ़ती बॉन्ड यील्ड्स पर काबू पाना है। इस कदम से बाजार में फैली तरलता की कमी को दूर करने और सरकारी प्रतिभूति (गवर्नमेंट सिक्योरिटीज) बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव को रोकने की कोशिश की जा रही है। ओएमओ के तहत आरबीआई बाजार से सरकारी बॉन्ड खरीदता है, जिससे बैंकिंग सिस्टम में नकदी की आपूर्ति बढ़ती है। आमतौर पर नकदी में इस तरह की बढ़ोतरी से बॉन्ड की मांग बढ़ती है, जिससे उनके दाम चढ़ते हैं और यील्ड घटती है। आरबीआई का यह ताजा फैसला मौजूदा आर्थिक माहौल में स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, खासतौर पर तब जब बाजार तरलता संकट और ब्याज दरों में संभावित उछाल को लेकर चिंतित था।