स्वास्थ्य के साथ-साथ भारत के आयात बिल के लिए भी कम खाने का तेल उपयोग करना फायदेमंद24 Feb 25

स्वास्थ्य के साथ-साथ भारत के आयात बिल के लिए भी कम खाने का तेल उपयोग करना फायदेमंद

24 फरवरी 2025 (UNA) : खाद्य तेल पर निर्भरता घटाने से भारत को मिलेगा स्वस्थ भविष्य: पीएम मोदी ने 'मन की बात' में की अपील

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' के ताज़ा संस्करण में देशवासियों से अपील की कि वे अपने आहार में खाद्य तेल की खपत को कम करें। यह कदम न केवल मोटापे जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से बचने में मदद करेगा, बल्कि भारत के बढ़ते आयात बिल और खाद्य महंगाई को भी नियंत्रित करने में सहायक होगा।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यदि भारत खाद्य तेल पर अपनी निर्भरता कम कर पाता है, तो इससे न केवल स्वास्थ्य की दिशा में सकारात्मक परिवर्तन आएगा, बल्कि देश के आर्थिक स्थिति पर भी बेहतर असर दिखेगा। भारत हर साल बड़ी मात्रा में खाद्य तेल का आयात करता है, और इस पर कम खर्च करना देश के आयात बिल को नियंत्रित करने में मदद करेगा।

गृहस्थ उपभोग व्यय सर्वेक्षण (HCES) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दशक में भारतीय परिवारों ने खाद्य तेल पर अपने खर्चे में वृद्धि की है। 2022-23 में, ग्रामीण परिवारों ने अपने कुल बजट का 7.7% हिस्सा खाद्य तेल पर खर्च किया, जबकि 2011-12 में यह आंकड़ा 7.1% था। इसका मतलब है कि पिछले एक दशक में खाद्य तेल की खपत बढ़ी है, जिससे स्वास्थ्य और आर्थिक दोनों पहलुओं पर नकारात्मक असर हो रहा है।

यदि लोग पीएम मोदी की सलाह पर अमल करते हैं और अपनी आहार योजनाओं में बदलाव लाते हैं, तो इससे देश का आयात बिल कम होगा और महंगाई भी नियंत्रित हो सकेगी। - UNA

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भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की एक हालिया रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी भारत की आर्थिक स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती बन सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, इससे न केवल महंगाई दर में तेज उछाल आ सकता है, बल्कि आर्थिक वृद्धि की रफ्तार पर भी सीधा असर पड़ेगा। RBI का कहना है कि भारत जैसी आयात-निर्भर अर्थव्यवस्था के लिए तेल मूल्य झटके का असर व्यापक होता है — जिससे खुदरा महंगाई, ट्रेड डेफिसिट और रुपए की विनिमय दर पर दबाव बढ़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह ट्रेंड जारी रहा, तो नीतिगत फैसलों पर भी बड़ा असर पड़ सकता है।