पटना का “स्मार्ट सिटी” सपना रुका, रुकनपुरा में बारिश से जलजमाव ने खोली पोल25 Aug 25

पटना का “स्मार्ट सिटी” सपना रुका, रुकनपुरा में बारिश से जलजमाव ने खोली पोल

पटना बिहार (UNA) : – राजधानी पटना को हाल ही में “स्मार्ट सिटी” का दर्जा दिया गया है, लेकिन बीते दिनों हुई भारी बारिश ने शहर की बुनियादी ढाँचे (infrastructure) से जुड़ी चुनौतियों को फिर उजागर कर दिया। बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (BSDMA) के अनुसार, शहर के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित रुकनपुरा इलाक़ा सोमवार को सिर्फ़ दो घंटे की लगातार बारिश के बाद तीन दिनों तक पानी में डूबा रहा।

दो घंटे में 45 मिमी बारिश, 72 घंटे तक जलजमाव
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आँकड़ों के अनुसार, दो घंटे में 45 मिमी वर्षा दर्ज की गई। इससे इलाके की जल निकासी प्रणाली (drainage network) चरमराकर रह गई। स्थानीय निवासियों ने बताया कि कुछ ही मिनटों में सड़कों पर पानी टखनों तक भर गया और बारिश रुकने के बावजूद 72 घंटे तक जमा रहा। इस दौरान कई लोग खुले नालों में फिसलकर गिर पड़े। इनमें से तीन लोगों को चोटें आईं, जिन्हें पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (PMCH) में इलाज मिला। पुलिस ने पुष्टि की कि किसी की मौत नहीं हुई।

नगर निगम ने माना कमज़ोर है नाली व्यवस्था
स्थानीय अधिकारियों ने माना कि यह समस्या शहर के पुराने हिस्सों में अपर्याप्त जल निकासी क्षमता का नतीजा है। पटना नगर निगम (PMC) के मुख्य अभियंता अनिल कुमार सिंह ने बताया कि,
“शहर का बड़ा हिस्सा अब भी पुराने तूफ़ानी पानी निकासी ढाँचे पर टिका हुआ है, जो स्मार्ट सिटी योजनाओं से पहले का है और अब अपग्रेड की ज़रूरत है।”
उन्होंने कहा कि निगम ने इंजीनियरों की टीम भेजी है जो नालियों की जाँच कर रही है और राज्य लोक निर्माण विभाग (PWD) के साथ मिलकर मुख्य नालों से मलबा साफ़ किया जा रहा है।

स्मार्ट सिटी बनाम बुनियादी सुविधाएँ
केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटीज़ मिशन योजना 2015 में शुरू हुई थी। इसके तहत पटना में स्वचालित ट्रैफ़िक प्रबंधन, डिजिटल पब्लिक सर्विसेज़ और बेहतर नागरिक सुविधाएँ उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। अब तक शहर में कुछ पायलट प्रोजेक्ट जैसे इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर शुरू किए गए हैं, लेकिन आलोचकों का कहना है कि बुनियादी सुविधाएँ, जैसे जल निकासी, अब भी नाकाफी हैं।

स्थानीय निवासियों की नाराज़गी
रुकनपुरा के लोग बार-बार होने वाले जलजमाव से परेशान हैं। महावीर चौक पर दुकान चलाने वाली सुनीता देवी ने कहा –
“हम Wi-Fi ज़ोन और सोलर लाइट की बातें सुनते हैं, लेकिन जब गली में पानी भर जाता है तो हम पैदल भी काम पर नहीं जा पाते। हमें हाई-टेक सुविधाओं से पहले कारगर नालियाँ चाहिए।”

आपदा प्रबंधन विभाग की चेतावनी
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (BSDMA) ने निचले इलाक़ों में रहने वालों के लिए सलाह जारी की है कि वे खुले नालों से दूर रहें और किसी भी अवरोध की सूचना सीधे PMC हेल्पलाइन (1800-123-456) पर दें। साथ ही, आपातकालीन राहत दलों को सक्रिय किया गया है, जो ज़रूरत पड़ने पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने और प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराने का काम करेंगे।

शहर में पानी निकासी के प्रयास जारी हैं, लेकिन यह घटना इस बात को रेखांकित करती है कि स्मार्ट सिटी दृष्टि (vision) को सफल बनाने के लिए व्यापक और मज़बूत बुनियादी ढाँचा योजना ज़रूरी है। आने वाले हफ़्तों में यह देखना अहम होगा कि क्या नगर निगम की कोशिशें काग़ज़ी वादों को ज़मीनी हक़ीक़त में बदल पाती हैं या नहीं। - UNA

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