मुंबई (UNA) : – जैसे-जैसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सहित केंद्रीय बैंकों द्वारा निकट भविष्य में ब्याज दरें घटाने (interest rate cut cycle) की अटकलें बढ़ रही हैं, निवेशक तेजी से डेट म्यूचुअल फंड्स (debt mutual funds) को एक संभावित आकर्षक निवेश के रूप में देख रहे हैं। गिरती ब्याज दरों की संभावना पूंजीगत लाभ (capital gains) के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करती है, लेकिन वित्तीय विशेषज्ञ आगाह करते हैं कि बाजार को सही समय पर पहचानना और जोखिम को समझना महत्वपूर्ण है।
इस रुचि के पीछे का मुख्य सिद्धांत बॉन्ड की कीमतों और ब्याज दरों के बीच व्युत्क्रम संबंध (inverse relationship) है। जब अर्थव्यवस्था में ब्याज दरें गिरती हैं, तो नए जारी किए गए बॉन्ड कम प्रतिफल (yield) प्रदान करते हैं। इससे मौजूदा बॉन्ड, जिनमें उच्च ब्याज दरें होती हैं, अधिक मूल्यवान हो जाते हैं। परिणामस्वरूप, इन पुराने बॉन्डों की कीमत बढ़ जाती है, जिससे उन्हें रखने वाले डेट म्यूचुअल फंड्स के शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (Net Asset Value - NAV) में वृद्धि होती है।
यह निवेशकों के लिए दोहरी आय (dual-engine return) पैदा करता है: न केवल वे पोर्टफोलियो में बॉन्ड द्वारा भुगतान किए गए नियमित ब्याज (उपज) से कमाते हैं, बल्कि उन्हें बॉन्ड के पूंजीगत मूल्यवृद्धि (capital appreciation) से भी लाभ होने की संभावना होती है।
जिन फंडों की 'अवधि (duration)' लंबी होती है – जो ब्याज दर परिवर्तनों के प्रति बॉन्ड पोर्टफोलियो की संवेदनशीलता का एक माप है – उन्हें सबसे अधिक लाभ होने की संभावना है। लॉन्ग-ड्यूरेशन फंड (long-duration funds) और गिल्ट फंड (gilt funds) (जो सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं) जैसी श्रेणियां दरों के उतार-चढ़ाव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती हैं और यदि उम्मीद के मुताबिक दर में कटौती का चक्र आता है तो वे पर्याप्त NAV लाभ देख सकती हैं।
हालांकि, उच्च रिटर्न की संभावना के साथ उच्च जोखिम (elevated risks) भी आता है। प्राथमिक चुनौती समय (timing) है। यदि अपेक्षित दर में कटौती में देरी होती है, या यदि मुद्रास्फीति जिद्दी साबित होती है और दरें उच्च बनी रहती हैं, तो बॉन्ड की कीमतों में अपेक्षित रैली नहीं होगी। इससे भी बदतर, यदि दरें अप्रत्याशित रूप से बढ़ती हैं, तो लंबी अवधि के फंड को सबसे महत्वपूर्ण नुकसान होगा।
वित्तीय सलाहकार इस बात पर जोर देते हैं कि एक निवेशक की जोखिम प्रोफ़ाइल (risk profile) और निवेश क्षितिज (investment horizon) मार्गदर्शक कारक होने चाहिए। मुंबई स्थित एक वित्तीय योजनाकार का कहना है, "संभावित लाभों का पीछा करते हुए लंबी अवधि के फंडों में सब कुछ डालना एक जोखिम भरी रणनीति हो सकती है।" "ये फंड अस्थिर होते हैं और अल्पकालिक लक्ष्यों या कम जोखिम उठाने की क्षमता वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं हैं। फंड की अवधि और निवेशक के समय क्षितिज के बीच बेमेल होने से नकारात्मक आश्चर्य हो सकता है।"
अधिकांश खुदरा निवेशकों के लिए, एक अधिक विवेकपूर्ण दृष्टिकोण में एक विविध डेट पोर्टफोलियो (diversified debt portfolio) शामिल हो सकता है। स्थिरता के लिए शॉर्ट- और मीडियम-ड्यूरेशन फंडों (short- and medium-duration funds) में एक मूल आवंटन बनाए रखना, जबकि लंबी अवधि के फंडों में एक छोटा, रणनीतिक आवंटन करना, जोखिम और इनाम को संतुलित करने में मदद कर सकता है।
अंततः, जबकि आर्थिक वातावरण डेट फंडों के लिए तेजी से अनुकूल दिख रहा है, अपने स्वयं के वित्तीय लक्ष्यों की स्पष्ट समझ के आधार पर एक सूचित निर्णय (informed decision) सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक बना हुआ है। - UNA