(UNA) - 9 सितम्बर 2025 को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में सोने की चमक एक बार फिर नई ऊँचाई पर पहुँची, जब इसकी कीमतों ने अब तक का सबसे ऊँचा स्तर छू लिया। निवेशकों का भरोसा इस समय सोने पर इसलिए और बढ़ गया है क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिज़र्व से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद की जा रही है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था से जुड़े हालिया आँकड़ों में रोजगार वृद्धि धीमी दिखी है और बेरोज़गारी दर भी बढ़ी है। साथ ही, डॉलर की कमजोरी और ट्रेज़री यील्ड में गिरावट ने निवेशकों को सोने की ओर और आकर्षित किया है। आर्थिक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव के बीच सोना एक सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में लगातार मज़बूत होता जा रहा है।
साल 2025 की शुरुआत से अब तक सोने की कीमतें लगभग 38% तक बढ़ चुकी हैं, जबकि 2024 में इसमें 27% की तेज़ी आई थी। यानी लगातार दो वर्षों से सोने ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है। इसमें चीन समेत कई केंद्रीय बैंकों की ओर से बड़े पैमाने पर खरीदारी का योगदान है, जिसने कीमतों को सहारा दिया। केवल सोना ही नहीं, बल्कि चाँदी और अन्य कीमती धातुएँ भी रफ्तार पकड़ रही हैं। चाँदी की कीमतें तो 2011 के बाद सबसे ऊँचे स्तर पर पहुँच चुकी हैं।
बाज़ार विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा हालात जारी रहे तो साल के अंत तक सोना 3,700 डॉलर प्रति औंस तक पहुँच सकता है और 2026 तक यह 4,000 डॉलर की ऐतिहासिक ऊँचाई भी छू सकता है। हालांकि, यह तस्वीर पूरी तरह अमेरिकी आर्थिक आँकड़ों और फेडरल रिज़र्व की नीतियों पर निर्भर करेगी। अगर आने वाले समय में अमेरिकी अर्थव्यवस्था मज़बूत संकेत देती है या फेड दर कटौती को लेकर अधिक सतर्क रुख अपनाता है, तो सोने की इस रैली पर ब्रेक भी लग सकता है।
कुल मिलाकर, सोने की यह तेजी केवल मौजूदा आर्थिक अनिश्चितता का नतीजा नहीं है, बल्कि वैश्विक निवेश रणनीतियों, केंद्रीय बैंकों की सक्रियता और भू-राजनीतिक माहौल से गहराई से जुड़ी हुई है। - UNA