ब्याज दरों पर नियंत्रण की कोशिश: आरबीआई ने नए ओएमओ खरीद दौर का ऐलान किया29 Apr 25

ब्याज दरों पर नियंत्रण की कोशिश: आरबीआई ने नए ओएमओ खरीद दौर का ऐलान किया

मुंबई, भारत – (UNA) : 
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय प्रणाली में तरलता (Liquidity) बढ़ाने और बढ़ती बॉन्ड यील्ड्स (Bond Yields) को नियंत्रित करने के उद्देश्य से नए दौर के ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO) खरीद की घोषणा की है। इस कदम का उद्देश्य सख्त होती तरलता परिस्थितियों को संभालना और सरकारी प्रतिभूति (Government Securities) बाजार में अत्यधिक अस्थिरता को रोकना है।

ओएमओ खरीद के तहत, आरबीआई बाजार से सरकारी बॉन्ड खरीदता है, जिससे बैंकों के पास नकदी बढ़ती है। जब बाजार में तरलता बढ़ती है, तो बॉन्ड की मांग बढ़ती है, जिससे उनकी कीमतें चढ़ती हैं और यील्ड (प्रतिफल) घटता है। इससे न केवल बॉन्ड बाजार को स्थिरता मिलती है बल्कि ब्याज दरों के संचरण तंत्र (Transmission Mechanism) को भी समर्थन मिलता है।

आरबीआई ने इस निर्णय के साथ यह संकेत दिया है कि वह वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और घरेलू महंगाई दबावों के बीच बाजार में व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। हाल के हफ्तों में बढ़ती महंगाई और वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में और वृद्धि की आशंकाओं ने भारत में भी बॉन्ड यील्ड्स पर ऊपर की ओर दबाव बढ़ा दिया था।

एक प्रमुख निजी बैंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा:

"आरबीआई का ओएमओ खरीद करने का फैसला बॉन्ड बाजार को स्थिर करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। यह दिखाता है कि केंद्रीय बैंक तरलता प्रबंधन और मौद्रिक नीति के सुचारू संचालन को लेकर सजग और सक्रिय है।"

आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि ओएमओ खरीद की राशि और तिथियाँ समय-समय पर घोषित की जाएंगी। बाजार भागीदार अब केंद्रीय बैंक के अगले कदमों पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं ताकि हस्तक्षेप के स्तर और उसके बाजार पर प्रभाव को समझा जा सके।

विश्लेषकों का मानना है कि आरबीआई का यह हस्तक्षेप अल्पकालिक राहत प्रदान कर सकता है, लेकिन दीर्घकालिक रूप से बॉन्ड यील्ड्स का रुख कई कारकों पर निर्भर करेगा — जैसे कि ताजा महंगाई आंकड़े, सरकार का उधारी कार्यक्रम और वैश्विक ब्याज दरों में बदलाव।

विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि ओएमओ खरीद भले ही तत्काल राहत दे, लेकिन बॉन्ड यील्ड्स पर स्थायी दबाव को कम करने के लिए व्यापक रणनीति आवश्यक है। इसमें सतर्क राजकोषीय प्रबंधन, प्रभावी महंगाई नियंत्रण उपाय, और आरबीआई द्वारा मौद्रिक नीति रुख पर स्पष्ट संवाद शामिल है।

वित्तीय स्थिरता बनाए रखने और सतत आर्थिक विकास को समर्थन देने के लिए आरबीआई का बाजार स्थितियों पर निरंतर नजर रखना और समयानुकूल उपाय अपनाना बेहद महत्वपूर्ण होगा। आने वाले हफ्तों में बाजार प्रतिभागी ध्यान से देखेंगे कि ये कदम बॉन्ड यील्ड्स और समग्र तरलता स्थिति पर क्या प्रभाव डालते हैं। - UNA

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ब्याज दरों पर नियंत्रण की कोशिश: आरबीआई ने नए ओएमओ खरीद दौर का ऐलान किया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस सप्ताह एक नए ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO) खरीद दौर की घोषणा की है, जिसका मकसद वित्तीय प्रणाली में नकदी प्रवाह बढ़ाना और बढ़ती बॉन्ड यील्ड्स पर काबू पाना है। इस कदम से बाजार में फैली तरलता की कमी को दूर करने और सरकारी प्रतिभूति (गवर्नमेंट सिक्योरिटीज) बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव को रोकने की कोशिश की जा रही है। ओएमओ के तहत आरबीआई बाजार से सरकारी बॉन्ड खरीदता है, जिससे बैंकिंग सिस्टम में नकदी की आपूर्ति बढ़ती है। आमतौर पर नकदी में इस तरह की बढ़ोतरी से बॉन्ड की मांग बढ़ती है, जिससे उनके दाम चढ़ते हैं और यील्ड घटती है। आरबीआई का यह ताजा फैसला मौजूदा आर्थिक माहौल में स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, खासतौर पर तब जब बाजार तरलता संकट और ब्याज दरों में संभावित उछाल को लेकर चिंतित था।