मुंबई, भारत (UNA) : – भारतीय शेयर बाजार में अगले कारोबारी सत्र में हलचल देखी जा सकती है, जिसकी वजह वैश्विक और घरेलू स्तर पर हुई कई अहम घटनाएं हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यापार से जुड़ी गतिविधियों से लेकर तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और आर्थिक आंकड़ों तक – ये आठ प्रमुख कारक आने वाले समय में बाजार की दिशा तय कर सकते हैं:
1. गिफ्ट निफ्टी देगा शुरुआती संकेत:
गिफ्ट निफ्टी पर नजरें टिकी होंगी, क्योंकि यह निफ्टी 50 के शुरुआती रुझान का पूर्वानुमान देने वाला संकेतक है। निवेशकों की मनोदशा को समझने में इसकी भूमिका अहम मानी जाती है।
2. ट्रंप की टैरिफ की बात फिर चर्चा में:
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन सहित अन्य देशों से होने वाले आयात पर शुल्क लगाने की संभावनाएं जताने से व्यापार युद्ध की आशंका फिर गहराई है। इसका असर भारतीय निर्यात-आधारित सेक्टर्स पर भी पड़ सकता है।
3. औद्योगिक उत्पादन (IIP) आंकड़े निराशाजनक:
हाल में जारी IIP आंकड़ों ने औद्योगिक विकास की रफ्तार को लेकर चिंता बढ़ाई है। निवेशक इन आंकड़ों को अर्थव्यवस्था की सेहत और कंपनियों की कमाई पर संभावित असर के लिहाज से बारीकी से देखेंगे।
4. कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता:
वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अहम है। कीमतों में तेज बढ़ोतरी से आयात बिल और महंगाई बढ़ सकती है, जिससे बाजार की धारणा प्रभावित हो सकती है।
5. अमेरिका के आर्थिक आंकड़ों का प्रभाव:
अमेरिका से आए महंगाई और बेरोजगारी जैसे प्रमुख आंकड़े वैश्विक बाजारों को प्रभावित करते हैं। इनका असर विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की गतिविधियों के ज़रिए भारतीय बाजार पर भी पड़ सकता है।
6. वैश्विक मौद्रिक नीति की दिशा:
अमेरिकी फेडरल रिजर्व या यूरोपीय सेंट्रल बैंक जैसे प्रमुख केंद्रीय बैंकों के ब्याज दरों पर दिए गए संकेत वैश्विक बाजारों पर असर डाल सकते हैं, जिससे भारत भी अछूता नहीं रहेगा।
7. भू-राजनीतिक घटनाक्रम:
अचानक उभरते वैश्विक तनाव या राजनीतिक घटनाएं बाजार में अस्थिरता ला सकती हैं। इससे निवेशक सतर्क रुख अपनाने लगते हैं।
8. रुपया-डॉलर विनिमय दर:
भारतीय रुपया यदि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर होता है, तो इसका असर विदेशी निवेश पर और उन कंपनियों की मुनाफाखोरी पर पड़ता है, जिनकी आय विदेशी मुद्रा में होती है। हालांकि, इससे निर्यात-आधारित उद्योगों को लाभ हो सकता है।
विशेषज्ञों की सलाह:
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि आने वाले सत्रों में बढ़ी हुई अस्थिरता की आशंका को देखते हुए निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है। वे पोर्टफोलियो में विविधता बनाए रखने और दीर्घकालिक रणनीति पर टिके रहने की सलाह दे रहे हैं। - UNA