मुंबई (UNA) : भारतीय शेयर बाज़ार शुक्रवार को फिसल गए और तीन दिन से जारी रैली पर ब्रेक लग गया। निवेशकों ने सतर्क रुख अपनाया क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की दरों में कटौती को लेकर उम्मीदें धीमी पड़ गईं और वॉशिंगटन के साथ चल रही व्यापार वार्ताओं को लेकर अनिश्चितता बनी रही। सेंसेक्स और निफ़्टी 50 दोनों ही सूचकांक शुरुआती कारोबार से ही कमजोरी में रहे और अधिकांश सत्र के दौरान लाल निशान में बंद हुए।
यह पलटाव उस समय आया जब फेड की आक्रामक दर कटौती की उम्मीदें कमज़ोर होकर इस चिंता में बदल गईं कि ऊँची अमेरिकी ब्याज़ दरें लंबे समय तक बनी रह सकती हैं। इससे उभरते बाज़ारों में विदेशी निवेश के प्रवाह पर असर पड़ने की आशंका है। विश्लेषकों का कहना है कि हाल के दिनों में सूचकांकों की मज़बूत बढ़त के बाद मुनाफ़ावसूली (प्रॉफ़िट बुकिंग) ने भी बाज़ार को नीचे खींचने में भूमिका निभाई।
बाज़ार धारणा को भारत–अमेरिका व्यापार वार्ताओं से जुड़ी अनिश्चितता ने और दबाव में डाला। हालाँकि इस प्रक्रिया को दीर्घकालिक रूप से सकारात्मक माना जा रहा है, लेकिन निवेशक ठोस परिणाम आने तक नई पोज़िशन लेने से बच रहे हैं। बैंकिंग और वित्तीय शेयरों में सबसे अधिक गिरावट आई, जिससे माहौल और सुस्त हो गया।
मुंबई स्थित एक रणनीतिकार ने कहा, “तेज़ रैली के बाद थोड़ी रुकावट आना स्वाभाविक और स्वस्थ है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि निवेशक अब वैश्विक परिस्थितियों का दोबारा आकलन कर रहे हैं, ताकि नई रणनीति बना सकें। हफ़्ते के समापन के साथ ही कारोबारियों की नज़र अब आने वाले मैक्रोइकोनॉमिक आँकड़ों और केंद्रीय बैंकों की टिप्पणियों पर टिकी है, जो बाज़ार की अगली दिशा तय करेंगे। - UNA