न्यूयॉर्क (UNA) : कमोडिटी मार्केट्स हफ्ते की शुरुआत सतर्क रुख के साथ कर रहे हैं, जहां निवेशक एक ओर अमेरिकी महंगाई को लेकर चिंताओं से जूझ रहे हैं तो दूसरी ओर पूर्वी यूरोप में बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों पर नजर बनाए हुए हैं। सभी की निगाहें अब आने वाले अमेरिकी पर्सनल कंजम्प्शन एक्सपेंडिचर (PCE) प्राइस इंडेक्स पर टिकी हैं, जिसे फेडरल रिज़र्व अपनी पसंदीदा महंगाई गेज मानता है। विश्लेषकों का मानना है कि यह डेटा फेड की ब्याज दर नीति की दिशा तय करने में अहम साबित होगा। हालिया संकेतों से साफ है कि जब तक महंगाई 2% लक्ष्य की ओर ठोस रूप से नहीं झुकती, फेड दरों में कटौती से हिचकेगा। यदि आंकड़े उम्मीद से ज्यादा मजबूत आते हैं तो “लंबे समय तक ऊंची दरें” का परिदृश्य और मजबूत होगा, जिससे डॉलर को सहारा मिलेगा और सोना व कॉपर जैसे कमोडिटी पर दबाव बढ़ सकता है, साथ ही औद्योगिक मांग भी कमजोर पड़ सकती है।
इसी बीच ऊर्जा बाजार भू-राजनीतिक जोखिमों से हिल गए हैं। यूक्रेन के ड्रोन हमलों ने रूस की ऊर्जा अवसंरचना, खासकर ऑयल रिफाइनरीज़ को निशाना बनाया है, जिससे डीज़ल और गैसोलीन जैसे परिष्कृत उत्पादों की सप्लाई पर संकट की आशंका बढ़ी है। इस जोखिम प्रीमियम ने क्रूड ऑयल की कीमतों को सहारा दिया है, भले ही मांग को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं।
कुल मिलाकर, बाज़ार मिले-जुले संकेतों के बीच अलग-अलग राह पकड़ रहे हैं। जहां सोना ब्याज दरों की उम्मीदों के बदलावों के प्रति संवेदनशील बना हुआ है, वहीं कच्चे तेल के बेंचमार्क्स सप्लाई रिस्क से सपोर्ट पा रहे हैं। हफ्ते भर में ट्रेडर्स अमेरिकी कंजम्प्शन डेटा और वैश्विक भू-राजनीति की अनिश्चितताओं को तौलते रहेंगे, जिससे कमोडिटी मार्केट्स में उतार-चढ़ाव तेज़ रहने की संभावना है। - UNA