काहिरा (UNA) : लाल सागर में समुद्र के भीतर बिछी कई फाइबर ऑप्टिक केबलों के क्षतिग्रस्त होने से वैश्विक इंटरनेट ट्रैफिक में बड़ी बाधा पैदा हो गई है। इस व्यवधान के कारण दुनिया की लगभग 17% इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रभावित हुई है। असर इतना गहरा है कि माइक्रोसॉफ्ट एज़्योर जैसी प्रमुख क्लाउड सेवाओं की गति धीमी हो गई और इसका असर मध्य पूर्व, पूर्वी अफ्रीका और भारत तक महसूस किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार, एशिया-अफ्रीका-यूरोप 1 (AAE-1) और सीकॉम जैसी कम से कम तीन अहम अंडरसी केबल लाइनों को नुकसान पहुँचा है। ये लाइनें यूरोप, एशिया और अफ्रीका को जोड़ने वाले सबसे व्यस्त डिजिटल मार्गों में से एक हैं। अब इंटरनेट ट्रैफिक को मजबूरी में लंबी वैकल्पिक राहों पर मोड़ा जा रहा है, जैसे अफ्रीका के चारों ओर घूमते केबल मार्ग या प्रशांत महासागर से जाने वाले रास्ते। नतीजतन, उपयोगकर्ताओं को धीमी स्पीड और अधिक लेटेंसी झेलनी पड़ रही है।
माइक्रोसॉफ्ट ने भी पुष्टि की है कि इस गड़बड़ी के कारण उसके एज़्योर ग्राहकों को सेवाओं में देरी का सामना करना पड़ा। हालांकि rerouting (ट्रैफिक मोड़ने) से इंटरनेट चलता रहा, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर वैश्विक डेटा नेटवर्क की नाज़ुक स्थिति को उजागर कर दिया है।
अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि इन केबलों को नुकसान किस वजह से हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि संभवतः किसी जहाज़ का लंगर समुद्र तल पर घसीटने से यह दुर्घटना हुई होगी, क्योंकि यह इलाका व्यस्त शिपिंग कॉरिडोर है। वहीं, कुछ विशेषज्ञ जानबूझकर तोड़फोड़ की संभावना से भी इंकार नहीं कर रहे, हालाँकि अभी तक किसी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है।
मरम्मत कार्य शुरू हो चुका है, लेकिन समुद्र के नीचे बिछी केबलों को दुरुस्त करना बेहद जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया होती है, जिसे पूरा करने में कई हफ़्ते लग सकते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि यह घटना दिखाती है कि आधुनिक दुनिया किस हद तक ऐसे नाज़ुक "डिजिटल चोक प्वाइंट्स" पर निर्भर है। जैसे समुद्री व्यापार के लिए स्वेज नहर की अहमियत है, वैसे ही इंटरनेट के लिए लाल सागर की यही भूमिका है—जहाँ एक छोटी सी गड़बड़ी पूरे विश्व पर असर डाल सकती है। - UNA