मुंबई, (UNA) : भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में रेपो और रिवर्स रेपो रेट में कटौती की घोषणा की है, जो कम मुद्रास्फीति और स्थिर आर्थिक विकास के बीच लिया गया महत्वपूर्ण कदम है। इस नीति से कर्जदाताओं को कम ब्याज दर पर ऋण लेने में आसानी होगी और व्यवसायों तथा व्यक्तिगत निवेशकों के लिए वित्तीय दबाव में कमी आएगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि मौद्रिक ढाँचे में यह ढील अर्थव्यवस्था को गति देने और मांग को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। साथ ही, यह निर्णय बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में तरलता बढ़ाने में मदद करेगा। निवेशकों के लिए भी यह अवसर हो सकता है कि वे वित्तीय उत्पादों और स्टॉक्स में बेहतर रिटर्न के लिए अपनी रणनीतियाँ तैयार करें।
RBI का यह कदम यह दर्शाता है कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति और विकास के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए तैयार है। आने वाले महीनों में कर्ज लागत कम होने से उपभोक्ता खर्च और व्यापारिक गतिविधियों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है, जो समग्र आर्थिक स्थिरता और विकास को और मजबूत करेगा। - UNA















