संयुक्त राष्ट्र (UNA) : पाकिस्तान और चीन द्वारा बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) और इसके सशस्त्र विंग मजीद ब्रिगेड को वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित कराने का संयुक्त प्रयास संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की 1267 प्रतिबंध समिति में विफल हो गया। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने इस प्रस्ताव को रोक दिया।
प्रस्ताव के तहत इस अलगाववादी संगठन पर संपत्ति जब्ती, यात्रा प्रतिबंध और हथियारों की खरीद-फ़रोख्त पर रोक लगाने की मांग की गई थी। पाकिस्तान और चीन का तर्क था कि BLA क्षेत्रीय स्थिरता और चीन–पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के लिए बड़ा ख़तरा है। बीजिंग ने विशेष रूप से 2022 में कराची यूनिवर्सिटी में हुए आत्मघाती हमले के बाद इस पर सख़्त अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की मांग की थी। उस हमले में मजीद ब्रिगेड की महिला आत्मघाती हमलावर ने तीन चीनी प्रोफेसरों और उनके ड्राइवर की जान ले ली थी।
हालाँकि, इस प्रस्ताव को टेक्निकल होल्ड पर रखकर अंततः खारिज कर दिया गया। कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक, पश्चिमी देशों की आपत्ति प्रक्रिया संबंधी चिंताओं पर आधारित थी। उनका कहना था कि 1267 प्रतिबंध व्यवस्था मुख्य रूप से अल-कायदा और आईएसआईएस से जुड़े व्यक्तियों और संगठनों को निशाना बनाने के लिए है, जबकि BLA — जो एक जातीय-राष्ट्रीयतावादी विद्रोही आंदोलन है — इस दायरे में नहीं आता।
ध्यान देने योग्य है कि BLA को पहले ही पाकिस्तान, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे कई देशों ने आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है। इसके गुट 2018 में कराची में चीनी वाणिज्य दूतावास पर और 2019 में ग्वादर के पर्ल कॉन्टिनेंटल होटल पर हमलों की ज़िम्मेदारी ले चुके हैं।
यह अवरोध सुरक्षा परिषद के भीतर भू-राजनीतिक विभाजन और संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा प्रतिबंध ढांचे की सीमाओं को उजागर करता है। पाकिस्तान और चीन के लिए यह CPEC परियोजनाओं के ख़िलाफ़ खतरों से निपटने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में एक झटका है। वहीं, पश्चिमी देशों का मानना है कि इस समिति का दायरा केवल वैश्विक जिहादी नेटवर्क तक सीमित रहना चाहिए, न कि क्षेत्रीय अलगाववादी आंदोलनों तक। - UNA