वाशिंगटन डी.सी., संयुक्त राज्य अमेरिका (UNA) : — ईरान पर नई पाबंदियां, 2015 परमाणु समझौते को पुनः जीवित करने की कोशिशों के बीच
संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान के खिलाफ नई पाबंदियों का ऐलान किया है, हालांकि 2015 के परमाणु समझौते (JCPOA) को पुनः सक्रिय करने के लिए अप्रत्यक्ष वार्ता जारी है। यह पाबंदियां [घोषणा की तारीख] को घोषित की गईं, और इनमें [संख्या] व्यक्तियों और [संख्या] संस्थाओं को लक्षित किया गया है, जो कथित तौर पर [विशिष्ट आरोप, जैसे ईरान का बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम, आतंकवादी समूहों को समर्थन, मानवाधिकार उल्लंघन] में शामिल हैं।
[संबंधित अमेरिकी विभाग, जैसे ट्रेजरी विभाग] द्वारा जारी किए गए एक बयान के अनुसार, इन पाबंदियों का उद्देश्य ईरान को उसके क्षेत्रीय अस्थिरता फैलाने वाले कार्यों और उसके हथियार कार्यक्रमों के विकास के लिए जिम्मेदार ठहराना है। नामित व्यक्तियों और संस्थाओं के अमेरिकी संपत्तियां फ्रीज़ कर दी जाएंगी, और अमेरिकी नागरिकों को इनसे लेन-देन करने से रोका जाएगा।
"[अमेरिकी अधिकारी का बयान, जैसे विदेश मंत्री, ट्रेजरी सचिव, आदि] हम ईरान की नकारात्मक गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए सभी उपलब्ध साधनों का उपयोग करते रहेंगे," [अधिकारी का नाम और पद] ने बयान में कहा। "[बयान का विस्तार, जैसे 'ये पाबंदियां यह स्पष्ट संदेश भेजती हैं कि हम ईरान के अंतरराष्ट्रीय मानदंडों की अनदेखी और खतरनाक हथियारों के निर्माण को बर्दाश्त नहीं करेंगे।']"
इन पाबंदियों का समय, जब [स्थल, जैसे वियना] में JCPOA को पुनः सक्रिय करने के लिए अप्रत्यक्ष वार्ताएं चल रही हैं, आश्चर्यचकित कर रहा है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम वार्ता में दबाव बढ़ाने के लिए उठाया गया है, जबकि अन्य को डर है कि यह पहले से ही नाजुक कूटनीतिक प्रक्रिया को और जटिल बना सकता है।
"[विश्लेषक का बयान, यदि संभव हो तो उनका संस्थान का नाम, जैसे 'यह वार्ता की मेज पर ताकत दिखाने की रणनीति हो सकती है, लेकिन यह ईरान को अलग कर सकता है और समझौता करने में कठिनाई पैदा कर सकता है,' डॉ. [विश्लेषक का नाम], [थिंक टैंक का नाम] में मध्य पूर्व विशेषज्ञ] ने कहा।]"
JCPOA, जिसने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमा में लाने के बदले में पाबंदियों में छूट दी थी, को ट्रंप प्रशासन ने 2018 में छोड़ दिया था। बाइडन प्रशासन इस समझौते को पुनः सक्रिय करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन महत्वपूर्ण अड़चनें बनी हुई हैं, जिनमें पाबंदियों में छूट की सीमा और ईरान की अनुपालन समयसीमा पर असहमति शामिल हैं।
ईरानी सरकार ने अभी तक नई पाबंदियों पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, ईरानी अधिकारियों ने पहले यह कहा था कि वे दबाव में आकर वार्ता नहीं करेंगे और उन्होंने 2018 के बाद लगाए गए सभी पाबंदियों को हटाने को JCPOA के पूर्ण अनुपालन में लौटने की शर्त के रूप में बताया है।
ये नई पाबंदियां यूएस-ईरान संबंधों की जटिल और नाजुक प्रकृति को रेखांकित करती हैं, क्योंकि दोनों देश परमाणु मुद्दे पर आगे बढ़ने का रास्ता तलाश रहे हैं। इन पाबंदियों का परमाणु वार्ता पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना बाकी है। - UNA