वॉशिंगटन डी.सी. (UNA) : – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा विदेश नीति के हथियार के रूप में टैरिफ (शुल्क) पर लगातार आक्रामक निर्भरता को लेकर विश्वभर में तीखी आलोचना हो रही है। सहयोगी और प्रतिद्वंद्वी दोनों ही अब अमेरिका की इस रणनीति का एकजुट होकर विरोध कर रहे हैं। यूरोप की आर्थिक महाशक्तियों से लेकर एशियाई देशों और दक्षिण अमेरिकी अर्थव्यवस्थाओं तक, हर जगह इसे एक खतरनाक “टैरिफ़ जुआ” बताया जा रहा है।
ट्रम्प का हालिया कदम – इस्पात और एल्यूमिनियम पर भारी शुल्क लगाना – पारंपरिक सहयोगियों जैसे यूरोपीय संघ, कनाडा और मैक्सिको को भी हिला चुका है। इस संरक्षणवादी रवैये (Protectionist Approach) का असर सिर्फ अमेरिका के सीधे व्यापारिक साझेदारों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं (Global Supply Chains) में भी अस्थिरता की आशंका गहराने लगी है।
भारत, जो अमेरिका का एक अहम व्यापारिक साझेदार है, इन नीतियों के खिलाफ सबसे मुखर आवाज़ के रूप में उभरा है। नई दिल्ली ने न केवल इन टैरिफ़ की कड़ी निंदा की, बल्कि पलटवार करते हुए कई अमेरिकी निर्यात उत्पादों – जिनमें कृषि वस्तुएं और स्टील शामिल हैं – पर शुल्क लगा दिए। यह कदम भारत की घरेलू उद्योगों की सुरक्षा करने की इच्छाशक्ति और एकतरफा दबाव का सामना करने की तैयारी दोनों को दर्शाता है।
भारत की यह आक्रामक प्रतिक्रिया अकेली नहीं है। चीन, यूरोपीय संघ और ब्राज़ील भी अमेरिका के खिलाफ कदम उठा चुके हैं या प्रतिरोधी उपायों की घोषणा कर चुके हैं। इन सभी देशों की सामूहिक प्रतिक्रिया यह स्पष्ट करती है कि अब राष्ट्र अमेरिकी संरक्षणवादी नीतियों को बिना जवाब दिए स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।
ट्रम्प प्रशासन का तर्क है कि ये टैरिफ़ व्यापार घाटे को कम करने और अमेरिकी नौकरियों की रक्षा करने के लिए आवश्यक हैं। लेकिन आलोचकों का कहना है कि इस तरह की नीतियां खुले बाज़ार की अवधारणा को कमजोर करती हैं और अंतरराष्ट्रीय व्यापार की बुनियाद को खतरे में डालती हैं। कई देशों के लिए यह मुद्दा सिर्फ आर्थिक चुनौती नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार के स्थापित मानकों का उल्लंघन भी है।
जैसे-जैसे तनाव बढ़ रहा है, देशों की यह संगठित प्रतिक्रिया एक बड़े वैश्विक व्यापार युद्ध (Global Trade War) का खतरा पैदा कर रही है, जो पूरी विश्व अर्थव्यवस्था को अस्थिर कर सकता है। इस विवाद में भारत की निर्णायक भूमिका यह दर्शाती है कि अब देश अमेरिकी नीतियों पर केवल प्रतिक्रिया भर नहीं दे रहे, बल्कि सक्रिय रूप से सामूहिक विरोध की अगुवाई कर रहे हैं। - UNA