वॉशिंगटन डी.सी. (UNA) : – अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्षविराम (Ceasefire) कराने में उनकी अहम भूमिका रही। ट्रंप का कहना है कि उन्होंने भारत को ऊँचे टैरिफ लगाने की धमकी देकर हालात को शांत किया और इसी कारण तनाव कुछ ही घंटों में कम हो गया।
ट्रंप का दावा
व्हाइट हाउस में हुई एक कैबिनेट मीटिंग के दौरान ट्रंप ने कहा कि उनकी बातचीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई थी। उन्होंने मोदी को चेतावनी देते हुए कहा था – “अगर तनाव कम नहीं हुआ तो टैरिफ इतने ऊँचे होंगे कि आपका सिर चकरा जाएगा।” ट्रंप के अनुसार, इस चेतावनी के महज़ पाँच घंटे बाद भारत और पाकिस्तान ने संघर्षविराम कर लिया।
यही नहीं, ट्रंप ने यह भी कहा कि साल 2025 की सीमा पर हुई झड़प में “सात लड़ाकू विमान गिराए गए थे” और उनके हस्तक्षेप ने इस स्थिति को परमाणु संघर्ष में बदलने से रोका।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
ट्रंप के इन दावों को भारत ने पूरी तरह खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि संघर्षविराम का अमेरिकी दबाव या किसी व्यापारिक बातचीत से कोई संबंध नहीं था। उनके अनुसार, यह निर्णय भारत और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के आपसी संवाद और समझ के आधार पर लिया गया था।
भारत सरकार का कहना है कि 10 मई 2025 को ‘जीन-डे’ (Jean-Day) के नाम से दर्ज की गई यह स्थिति ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पैदा हुई थी। लेकिन इसका समाधान दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच हुई बातचीत से निकला, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से।
विशेषज्ञों और नेताओं की राय
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी ट्रंप के दावे को खारिज किया। उन्होंने कहा कि यह संघर्षविराम भारत की सोची-समझी रणनीति और सीमित सैन्य बल प्रयोग का नतीजा था, बाहरी दबाव का नहीं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर” में ठहराव पाकिस्तान की पहल पर हुआ था, जब उन्होंने डीजीएमओ स्तर पर भारत से संपर्क साधा। अमेरिका की भूमिका इसमें कहीं भी नहीं थी।
जहाँ ट्रंप अपने भाषणों में लगातार यह जताते रहे हैं कि उनकी धमकी और रणनीति से भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध टला, वहीं भारत का आधिकारिक रुख बिल्कुल अलग है। भारत का दावा है कि संघर्षविराम पूरी तरह दोनों देशों की सैन्य संस्थाओं के आपसी संवाद का नतीजा था। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि ट्रंप का बयान घरेलू राजनीति और चुनावी लाभ के लिए दिया गया है, न कि किसी वास्तविक कूटनीतिक हस्तक्षेप की वजह से। - UNA