"अफ्रीका में कूटनीतिक मोर्चाबंदी तेज़—अमेरिका के पीछे हटने पर चीन ने बढ़ाया दबाव"09 Apr 25

"अफ्रीका में कूटनीतिक मोर्चाबंदी तेज़—अमेरिका के पीछे हटने पर चीन ने बढ़ाया दबाव"

9 अप्रैल 2025 (UNA) : चीन अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि की आलोचना को दबाने के लिए किस हद तक जा सकता है, इसका एक ताज़ा उदाहरण सामने आया है। द एसोसिएटेड प्रेस (AP) की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के राजनयिकों ने दो अफ्रीकी देशों—मलावी और गाम्बिया—के शीर्ष अधिकारियों को फोन कर धमकाया, कि अगर उनके सांसद चीन विरोधी अंतरराष्ट्रीय संसदीय समूह से नहीं हटे, तो एक अहम शिखर सम्मेलन को रद्द कर दिया जाएगा।

यह समूह है इंटर-पार्लियामेंटरी अलायंस ऑन चाइना (IPAC), जिसकी स्थापना 2020 में हुई थी। इस संगठन में 38 देशों के सैकड़ों सांसद शामिल हैं, जो लोकतांत्रिक देशों के नज़रिए से चीन की नीतियों और कार्यशैली की समीक्षा करते हैं। IPAC ने शिनजियांग और हांगकांग में चीन द्वारा किए गए मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ सामूहिक प्रतिबंधों का समन्वय किया है, और ताइवान के लिए वैश्विक समर्थन जुटाने में भी अहम भूमिका निभाई है। ताइवान एक स्वशासित लोकतांत्रिक द्वीप है, जिसे चीन अपना हिस्सा मानता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, बीते साल मलावी और गाम्बिया के सांसदों ने IPAC से चुपचाप इस्तीफा दे दिया, और इसके पीछे चीन की तरफ से डाले गए जबरदस्त दबाव को वजह माना जा रहा है। इस पूरे घटनाक्रम के बारे में पत्रों, मैसेज और ऑडियो रिकॉर्डिंग्स के जरिए जानकारी मिली है।

यह घटनाक्रम दिखाता है कि चीन सिर्फ सार्वजनिक मंचों पर ही नहीं, बल्कि बंद दरवाजों के पीछे भी प्रभाव और दबाव की रणनीति अपनाता है। अफ्रीका में चीन की बढ़ती कूटनीतिक सक्रियता और इस तरह के हस्तक्षेप यह साफ संकेत देते हैं कि बीजिंग अब वैश्विक राजनीति को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा। - UNA

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"तुर्की रक्षा मंत्रालय का स्पष्ट खंडन: पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति की खबरें निराधार"28 Apr 25

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तुर्की रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में मीडिया रिपोर्ट्स का सख्त खंडन किया है, जिनमें यह आरोप लगाया गया था कि तुर्की ने पाकिस्तान को हथियारों से भरे छह विमान भेजे। मंत्रालय के सूत्रों ने इन रिपोर्ट्स को "पूरी तरह से निराधार" और "जानबूझकर भ्रामक" करार दिया। यह आरोप इस सप्ताह की शुरुआत में विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर उभरे थे, और बाद में कुछ समाचार आउटलेट्स में भी इनका प्रसार हुआ था। रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि तुर्की सरकार ने पाकिस्तान को सैन्य उपकरण भेजने के लिए कई मालवाहन विमान भेजे, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह कदम क्षेत्रीय संघर्षों में सहायता करने या पाकिस्तानी सैन्य क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया था।