14 फरवरी 2025 (UNA) नई दिल्ली:
भारत अंतरिक्ष और समुद्री अन्वेषण में तेजी से प्रगति कर रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 2027 में चंद्रयान-4 मिशन लॉन्च करने की योजना बनाई है। इस मिशन के तहत, भारत पहली बार चंद्रमा से नमूने एकत्र करने की तकनीक का उपयोग करेगा। मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए दो LVM-3 (लॉन्च व्हीकल मार्क-3) रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा।
चंद्रयान-4 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह से मिट्टी और चट्टानों के नमूने एकत्र कर पृथ्वी पर लाना है, जिससे वैज्ञानिकों को चंद्रमा की संरचना और वहां मौजूद संसाधनों के बारे में विस्तृत जानकारी मिल सके। यह मिशन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी और इसे वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में एक बड़ी छलांग माना जा रहा है।
गगनयान और समुद्रयान मिशन भी लाइन में
इसरो 2028 में अपने महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष मिशन "गगनयान" को भी लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। इस मिशन के तहत, भारत पहली बार अपने अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की कक्षा में भेजेगा। गगनयान भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक मील का पत्थर साबित होगा और इससे भारत उन देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने अपने दम पर मानव को अंतरिक्ष में भेजा है।
इसके अलावा, समुद्री अनुसंधान में एक नई क्रांति लाने के लिए भारत 2026 में "समुद्रयान" मिशन लॉन्च करेगा। यह मिशन समुद्र की गहराइयों में मौजूद खनिज और अन्य संसाधनों की खोज के लिए डिजाइन किया गया है। समुद्रयान मिशन के तहत, एक विशेष रूप से निर्मित पनडुब्बी 6,000 मीटर तक की गहराई में जाकर डेटा एकत्र करेगी। यह मिशन भारत के ब्लू इकॉनमी (Blue Economy) के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को मिलेगी बढ़त
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। सरकारी नीतियों, निजी क्षेत्र की भागीदारी और वैश्विक सहयोग के चलते इस क्षेत्र में बड़े निवेश की संभावना है। अंतरिक्ष और समुद्र अन्वेषण के क्षेत्र में भारत की यह प्रगति देश की वैज्ञानिक क्षमता को मजबूत करेगी और वैश्विक स्तर पर उसकी स्थिति को और मजबूत बनाएगी।