अमेरिकी डॉलर की मजबूती और फेड नीतियों के संकेतों के बीच गिरी सोने की कीमतें26 Jul 25

अमेरिकी डॉलर की मजबूती और फेड नीतियों के संकेतों के बीच गिरी सोने की कीमतें

नई दिल्ली (UNA) :  – हाल के व्यापारिक सत्रों में कीमती धातुओं के बाजारों में एक महत्वपूर्ण गिरावट देखने को मिली है, जिसमें सोने की कीमतें एक उल्लेखनीय निचले स्तर पर आ गई हैं। इस गिरावट ने निवेशकों और उपभोक्ताओं दोनों का ध्यान खींचा है, जबकि चांदी के बाजारों में भी कीमतों में उतार-चढ़ाव का अनुभव हुआ है।


सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट के कारण


गुरुवार को, 24 कैरेट सोने की कीमत में काफी गिरावट देखी गई, जो पिछले हफ्ते से चली आ रही downward trend को जारी रखती है। यह गिरावट कीमतों को एक ऐसे स्तर पर लाती है जो उन खरीदारों को आकर्षित कर सकती है जो बाजार में सुधार का इंतजार कर रहे थे। इसी तरह, चांदी में भी गिरावट दर्ज की गई, हालांकि इसकी चाल अपनी विशेषता के अनुसार volatile रही।

बाजार विश्लेषकों ने सोने की कीमतों में गिरावट के लिए कई प्रमुख वैश्विक आर्थिक कारकों को जिम्मेदार ठहराया है। इसका एक प्राथमिक कारण अमेरिकी डॉलर का मजबूत होना है। चूंकि सोने का अंतरराष्ट्रीय मूल्य डॉलर में होता है, एक मजबूत डॉलर अन्य मुद्राओं के धारकों के लिए इस धातु को अधिक महंगा बनाता है, जिससे मांग कम हो जाती है और कीमतें नीचे आ जाती हैं।

इसके अलावा, विशेषज्ञों ने वैश्विक व्यापार के बारे में बदलती sentiment की ओर इशारा किया है। टैरिफ (tariff) से संबंधित चिंताओं में हालिया कमी ने भू-राजनीतिक तनावों को कम कर दिया है, जिससे "safe-haven" संपत्ति के रूप में सोने की अपील कम हो गई है। जब बाजार में perceived risk कम होता है, तो निवेशक अक्सर सोने जैसी non-yielding assets से पूंजी को higher-yielding investments जैसे इक्विटी में transfer कर देते हैं।

नीचे की ओर दबाव को और बढ़ा रहा है अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) की मौद्रिक नीति पर विकसित होता दृष्टिकोण। तत्काल ब्याज दर में कटौती की उम्मीदें कम हो गई हैं। उच्च ब्याज दरें सोना रखने की opportunity cost को बढ़ाती हैं, जिस पर कोई ब्याज या लाभांश नहीं मिलता है, जिससे ब्याज देने वाली संपत्ति निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक हो जाती है। - UNA

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नई दिल्ली से एक बड़ी अधिसूचना सामने आई है, जहां केंद्र सरकार के सड़क परिवहन मंत्रालय ने हरियाणा और राजस्थान के बीच संपर्क को बेहतर बनाने के लिए एक नए हाईवे परियोजना को मंज़ूरी दे दी है। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत लगभग ₹325 करोड़ की लागत से 45 किलोमीटर लंबा चार-लेन हाईवे बनाया जाएगा। परियोजना की प्रक्रिया ने रफ्तार पकड़ ली है, और निर्माण कार्य के लिए निविदा भी जारी कर दी गई है। यह हाईवे न केवल दोनों राज्यों के बीच यातायात को सुगम बनाएगा, बल्कि व्यापार, पर्यटन और औद्योगिक गतिविधियों को भी नया बल देगा। सरकार का यह कदम सीमावर्ती क्षेत्रों के समेकित विकास और राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क को सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है। यह सड़क परियोजना उन लोगों के लिए राहत की खबर है जो रोज़ाना हरियाणा और राजस्थान के बीच सफर करते हैं, साथ ही इस क्षेत्र में लॉजिस्टिक्स और कनेक्टिविटी को एक नई ऊंचाई तक ले जाने की क्षमता रखती है।