वॉशिंगटन, डी.सी. (UNA) : अमेरिकी बिज़नेस जगत के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश (Executive Order) पर हस्ताक्षर कर एच-1बी वीज़ा स्पॉन्सरशिप फीस को प्रति आवेदक $100,000 कर दिया है। यह अब तक की तुलना में कई गुना वृद्धि है और इसके असर से तमाम इंडस्ट्रीज़ की भर्ती रणनीतियाँ हिल सकती हैं।
अमेरिका का सबसे बड़ा बिज़नेस एडवोकेसी संगठन, यू.एस. चैंबर ऑफ कॉमर्स, ने इस फैसले पर गहरी चिंता जताई। बयान में कहा गया—
“हमें एच-1बी वीज़ा फीस में भारी बढ़ोतरी को लेकर गंभीर चिंता है। चैंबर फिलहाल आदेश के विवरण की समीक्षा कर रहा है और अपने सदस्यों व अर्थव्यवस्था के लिए सर्वोत्तम रास्ता तलाशने पर काम कर रहा है।”
एच-1बी वीज़ा दशकों से अमेरिकी कंपनियों के लिए टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसे क्षेत्रों में उच्च कौशल वाले विदेशी प्रोफेशनल्स तक पहुँच का अहम साधन रहा है। ट्रंप प्रशासन इस कदम को “Buy American, Hire American” एजेंडे के तहत जायज़ ठहरा रहा है। उनका तर्क है कि ऊँची फीस कंपनियों को अमेरिकी वर्कफोर्स को प्राथमिकता देने के लिए बाध्य करेगी।
लेकिन आलोचक मानते हैं कि यह रणनीति उलटी पड़ सकती है।
-
टेक सेक्टर के नेताओं का कहना है कि इतनी भारी फीस छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स के लिए वैश्विक टैलेंट हासिल करना लगभग असंभव बना देगी।
-
बड़े कॉरपोरेट्स भले कुछ हद तक यह बोझ उठा लें, लेकिन इससे भी उनकी वर्कफोर्स प्लानिंग और इनोवेशन पाइपलाइन्स पर असर पड़ेगा।
-
पहले जहाँ स्पॉन्सरशिप फीस सिर्फ कुछ हजार डॉलर थी, वहीं अब छह अंकों की रकम ने अचानक कंपनियों में अस्पष्टता और अनिश्चितता पैदा कर दी है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले महीनों में बिज़नेस जगत और ट्रंप प्रशासन के बीच हाई-स्किल्ड इमिग्रेशन पॉलिसी को लेकर टकराव और गहरा सकता है। - UNA