वॉशिंगटन डी.सी. (UNA) : – वर्ष 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की अराजक वापसी ने क्षेत्र में अस्थिरता की विरासत छोड़ दी है, जिसमें एक महत्वपूर्ण परिणाम हथियारों का बेतहाशा प्रसार भी है। छोड़े गए उपकरण, आत्मसमर्पित हथियार, और सुरक्षा ढांचे के टूटने ने इस स्थिति को जन्म दिया है, जिससे अब पूरा क्षेत्र हथियारों से भर गया है। इस पर पड़ोसी देशों और अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने गहरी चिंता जताई है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी आपूर्ति किए गए भारी मात्रा में हथियार, जो अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बलों (ANDSF) के लिए भेजे गए थे, अफगान सरकार के अचानक पतन के बाद तालिबान के हाथ लग गए। इसमें केवल छोटे हथियार और गोला-बारूद ही नहीं, बल्कि बख्तरबंद वाहन, तोपखाना और उन्नत नाइट-विजन उपकरण भी शामिल हैं।
हालांकि, इस समस्या के वास्तविक पैमाने का आकलन करना अभी भी कठिन बना हुआ है। अमेरिकी सेना ने वापसी के दौरान कुछ उपकरण नष्ट कर दिए थे, लेकिन तालिबान की तेज़ी से बढ़त के चलते काफी मात्रा में सामान पीछे छूट गया। पेंटागन ने पहले कहा था कि वे इस स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और हथियारों की आवाजाही को ट्रैक करने की कोशिश कर रहे हैं।
इन हथियारों का प्रवाह मौजूदा संघर्षों को हवा दे रहा है और क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा रहा है। खासतौर पर पाकिस्तान ने इस बात को लेकर चिंता जताई है कि ये हथियार अफगानिस्तान की सीमा से लगे क्षेत्रों में सक्रिय उग्रवादी समूहों के हाथ लग सकते हैं। मध्य एशियाई देशों ने भी सीमा पार आतंकवाद और अस्थिरता के बढ़ते खतरे को लेकर सतर्कता दिखाई है।
विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि हथियारों का यह अनियंत्रित प्रसार दीर्घकालिक परिणाम ला सकता है। क्षेत्रीय सुरक्षा विश्लेषक डॉ. आइशा खान के अनुसार, "इन हथियारों की उपलब्धता न केवल तालिबान को सशक्त बनाती है, बल्कि अन्य चरमपंथी संगठनों को भी इन्हें हासिल करने का अवसर देती है। इससे क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ने और आतंकवादी हमलों के खतरे में इज़ाफा हो सकता है।"
यह स्थिति अमेरिकी हथियार आपूर्ति नीतियों की प्रभावशीलता और विदेशी सरकारों को सैन्य सहायता प्रदान करते समय उचित निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी सवाल उठाती है। आगे चलकर, अंतरराष्ट्रीय प्रयास कूटनीतिक माध्यमों, सीमा सुरक्षा को मजबूत करने और आतंकवाद-रोधी पहलों के ज़रिए इस समस्या को नियंत्रित करने पर केंद्रित होंगे, ताकि इन हथियारों के प्रसार को रोका जा सके और इससे जुड़े जोखिमों को कम किया जा सके।
हालांकि इन हथियारों की बाढ़ के दीर्घकालिक प्रभाव अभी पूरी तरह सामने नहीं आए हैं, शुरुआती संकेत एक बढ़े हुए सुरक्षा खतरे की ओर इशारा करते हैं, जो पूरे क्षेत्र के लिए गंभीर चिंता का विषय बन सकता है। - UNA