बायो-एआई से जैव-उत्पादन में क्रांति: DBT और BIRAC की 'मूलांकुर' पहल06 May 25

बायो-एआई से जैव-उत्पादन में क्रांति: DBT और BIRAC की 'मूलांकुर' पहल

नई दिल्ली, 5 मई 2025 — जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) ने संयुक्त रूप से "बायो-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Bio-AI)" पर आधारित प्रस्तावों के लिए एक आमंत्रण जारी किया है। इस पहल का उद्देश्य भारत में जैव-निर्माण (Biomanufacturing) को सशक्त बनाना है। इस पहल के अंतर्गत "मूलांकुर" हब्स की स्थापना की जाएगी, जो BioE3 (Biotechnology for Economy, Environment & Employment) नीति के तहत संचालित होंगे।+1

"मूलांकुर" हब्स का उद्देश्य

इन हब्स का उद्देश्य जैव प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के समन्वय से स्वास्थ्य, कृषि और पर्यावरण के क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देना है। यह हब्स अनुसंधानकर्ताओं, उद्योग विशेषज्ञों और स्टार्टअप्स को एक साथ लाकर सहयोगात्मक मंच प्रदान करेंगे, जहां वे Bio-AI समाधानों का विकास और कार्यान्वयन कर सकेंगे।

प्रस्तावों के लिए अपेक्षित क्षेत्र

प्रस्तावों को निम्नलिखित क्षेत्रों में आमंत्रित किया गया है:

  • बायोमोलेक्यूलर डिज़ाइन: उन्नत जैव-चिकित्सकीय और जैव-प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों के लिए नए प्रोटीन, एंजाइम और RNA-आधारित अणुओं की इंजीनियरिंग।

  • सतत कृषि: जलवायु-प्रतिरोधी फसलों का विकास और AI-संचालित रोग पहचान तकनीकों का विकास।

  • सिंथेटिक बायोलॉजी: बायोफ्यूल और बायोमटेरियल उत्पादन के लिए AI-अनुकूलित मेटाबोलिक पथों का विकास।

  • आयुर्वेद: व्यक्तिगत आयुर्वेदिक उपचारों के लिए AI-संचालित मॉडल और हर्ब-ड्रग इंटरैक्शन विश्लेषण।

  • जीनोम डायग्नोस्टिक्स: AI-संचालित जोखिम भविष्यवाणी मॉडल और बायोमार्कर की पहचान।

वित्तीय सहायता और आवेदन प्रक्रिया

  • अनुदान राशि: चयनित परियोजनाओं को अधिकतम ₹25 करोड़ तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

  • परियोजना अवधि: प्रस्तावित परियोजनाओं की अवधि अधिकतम 2 वर्ष होगी।

  • आवेदन की अंतिम तिथि: प्रस्तावों को 10 मई 2025 तक जमा किया जा सकता है।

  • आवेदन पोर्टल:

संपर्क जानकारी

  • डॉ. कलैवानी गणेशन, वैज्ञानिक-एफ, DBT: [email protected]

  • डॉ. अमित कटियार, मुख्य प्रबंधक, IP & TM, BIRAC: [email protected]

यह पहल भारत को वैश्विक जैव-निर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो सतत और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार प्रथाओं को बढ़ावा देती है। - UNA

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