(UNA) : भारत की कंपनियों को ग्लोबल ब्रांड बनने के लिए क्या सबक लेने चाहिए?
भारत की आर्थिक तरक्की आज एक वैश्विक सच्चाई बन चुकी है। लेकिन जब हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांड पहचान की बात करते हैं, तो भारत की कंपनियाँ अब भी अमेरिका, चीन, जर्मनी या जापान के मुकाबले पीछे नज़र आती हैं। Apple, Toyota, Mercedes-Benz और Huawei जैसे नाम दुनिया के हर कोने में जाने-पहचाने हैं, लेकिन कितने भारतीय ब्रांड हैं जिन्हें आप वैश्विक स्तर पर इसी तरह पहचानते हैं? यही सवाल भारत की कंपनियों के लिए एक चेतावनी और अवसर दोनों लेकर आता है: भारत की कंपनियाँ इन ग्लोबल ब्रांड्स से क्या सीख सकती हैं?
सिर्फ रैंकिंग पाना नहीं, उसके पीछे की रणनीति को समझना ज़रूरी है
कई भारतीय कंपनियों के लिए वैश्विक ब्रांड वैल्यू इंडेक्स (Global Brand Value Index) में जगह बनाना ही बड़ी उपलब्धि लग सकती है। लेकिन असली ब्रांड बिल्डिंग सिर्फ किसी रैंकिंग तक सीमित नहीं होती। किसी ब्रांड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना, उसे टिकाऊ और पीढ़ियों तक सफल बनाना—इसके लिए दीर्घकालिक सोच, नवाचार, गुणवत्ता और गहरी रणनीति की जरूरत होती है।
अक्सर भारतीय कंपनियाँ घरेलू बाजार पर इतना फोकस करती हैं कि वे वैश्विक संभावनाओं की ओर जरूरी निवेश और दूरदृष्टि नहीं दे पातीं। इसके उलट, अमेरिका, चीन और जापान की कंपनियाँ लंबे समय से वैश्विक विस्तार की योजना बनाकर चलती हैं।
भारत की कंपनियों को किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?
1. लंबी दूरी की सोच अपनाएं, तात्कालिक लाभ से आगे बढ़ें
सिर्फ तिमाही नतीजों पर फोकस करने की बजाय, कंपनियों को यह समझना होगा कि सच्चा ब्रांड भरोसे और निरंतर गुणवत्ता से बनता है। Apple या Toyota जैसी कंपनियों ने यह विश्वास वर्षों में कमाया है, केवल उत्पाद बेचकर नहीं, बल्कि ग्राहक अनुभव को केंद्र में रखकर।
2. स्पष्ट और यूनिक ब्रांड स्टोरी बनाएं
आज की दुनिया में सिर्फ अच्छा प्रोडक्ट होना काफी नहीं। एक ऐसी कहानी चाहिए जो दुनियाभर के उपभोक्ताओं से भावनात्मक रूप से जुड़ सके। भारत में कई कंपनियाँ अच्छे उत्पाद बनाती हैं, लेकिन उन्हें वैश्विक स्तर पर पहुँचाने के लिए जरूरी ब्रांडिंग और डिजाइन में निवेश नहीं कर पातीं।
3. सिर्फ सप्लायर नहीं, कस्टमर के लाइफस्टाइल पार्टनर बनें
दुनिया के सफल ब्रांड्स ग्राहकों के जीवन का हिस्सा बनते हैं। वे सिर्फ सेवाएँ नहीं देते, बल्कि उपभोक्ताओं की ज़रूरतों और मूल्यों को समझकर खुद को उनका 'पार्टनर' बनाते हैं। भारत की कंपनियों को भी यह सोच अपनानी होगी।
4. डिजिटल टूल्स और लोकल मार्केट समझदारी से इस्तेमाल करें
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स का इस्तेमाल कर कंपनियाँ सीमाओं से परे जा सकती हैं। लेकिन इसके साथ ही हर देश की सांस्कृतिक और व्यावसायिक जरूरतों को समझना और उसके अनुसार रणनीति बनाना जरूरी है।
5. इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी और डिजाइन में करें भारी निवेश
ग्लोबल ब्रांड्स सिर्फ प्रोडक्ट नहीं, बल्कि पेटेंट, लोगो, डिजाइन और ब्रांड वैल्यू से बने होते हैं। भारतीय कंपनियों को इन पहलुओं को भी उतना ही महत्व देना होगा जितना मैन्युफैक्चरिंग या कीमत को देती हैं। - UNA