गडचिरोली, महाराष्ट्र (UNA) : मध्य भारत में नक्सली आंदोलन को एक बड़ी चोट देते हुए मल्लोजुला वेंकटपल राव, जिन्हें भूपति (या सोनू) के नाम से जाना जाता है, ने महाराष्ट्र पुलिस के सामने 13 अक्टूबर की देर रात आत्मसमर्पण कर दिया। भूपति भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केंद्रीय समिति और पोलित ब्यूरो के वरिष्ठ सदस्य थे। उनके साथ कुल 61 नक्सली कैडर ने भी आत्मसमर्पण किया।
यह आत्मसमर्पण गडचिरोली जिले के भामरागढ़ क्षेत्र के फोड़ेवाड़ा गांव के पास हुआ, जो महाराष्ट्र–छत्तीसगढ़ की सीमा से सटा हुआ है। आत्मसमर्पण करने वालों में एक केंद्रीय समिति सदस्य और दस डिवीजनल समिति सदस्य शामिल हैं, जो नक्सली नेतृत्व के लिए एक बड़ी क्षति मानी जा रही है।
सुरक्षा बलों के अनुसार, यह घटना क्षेत्र के हालिया इतिहास में सबसे बड़े सामूहिक आत्मसमर्पणों में से एक है। आत्मसमर्पण के दौरान समूह ने 54 हथियार — जिनमें AK-47 और INSAS राइफलें शामिल हैं — पुलिस को सौंपे। अधिकारियों का मानना है कि भूपति के आत्मसमर्पण के पीछे आंतरिक असंतोष, नेतृत्व में उपेक्षा, नक्सली रैंकों में बढ़ते नुकसान, और राज्य की पुनर्वास नीति की सक्रिय पहल प्रमुख कारण रहे।
अधिकारियों के अनुसार, यह आत्मसमर्पण दंडकारण्य क्षेत्र (जिसमें महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के कुछ हिस्से शामिल हैं) में चल रहे उग्रवाद-विरोधी अभियानों के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। भूपति की जानकारी न केवल जंगल नेटवर्क बल्कि शहरी माओवादी तंत्र के बारे में भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों को मूल्यवान खुफिया जानकारी मिलने की उम्मीद है।
आत्मसमर्पण करने वाले सभी कैडर अब राज्य सरकार की पुनर्वास योजना के तहत प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और समाज में पुनः एकीकरण की प्रक्रिया से गुजरेंगे। यह घटनाक्रम ऑपरेशन ‘कागर’ के तहत सुरक्षा बलों के निरंतर दबाव और नक्सली संगठन में घटते मनोबल को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। – UNA
















