बेंगलुरु, ( UNA ) : इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति द्वारा युवाओं को 72 घंटे का कार्यसप्ताह अपनाने की सलाह पर चिकित्सा विशेषज्ञों ने गंभीर चिंताएँ जताई हैं। न्यूरोलॉजिस्टों का कहना है कि इतने लंबे समय तक लगातार काम करना न केवल मस्तिष्क की क्षमता को प्रभावित करता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, नींद चक्र और संज्ञानात्मक क्षमता पर भी दीर्घकालिक नुकसान पहुंचा सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, सीमित नींद और लगातार तनाव के कारण मस्तिष्क में न्यूरल रिकवरी धीमी हो जाती है, जिससे ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, निर्णय क्षमता कमजोर होना और थकावट बढ़ने जैसी समस्याएँ सामने आती हैं। लगातार ओवरवर्किंग से बर्नआउट, अवसाद, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग का खतरा भी बढ़ जाता है।
डॉक्टरों ने कहा कि अधिक कार्य घंटों का मतलब जरूरी नहीं कि अधिक उत्पादकता हो। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि 50 घंटे प्रति सप्ताह से अधिक काम करने पर दक्षता तेजी से गिरने लगती है। विशेषज्ञों ने सलाह दी कि स्वस्थ कार्य-जीवन संतुलन ही दीर्घकालिक सफलता और बेहतर प्रदर्शन की कुंजी है। - UNA















