नई दिल्ली, भारत (UNA) : डॉलर के मुकाबले रुपये के 90 के स्तर को छूने से ऑटो उद्योग में दो तरह की प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। एक तरफ, लग्जरी और हाई-एंड कार निर्माताओं के लिए यह गिरावट चिंता का कारण बन गई है, क्योंकि इन वाहनों में इम्पोर्टेड पार्ट्स का हिस्सा अधिक होता है। रुपये की कमजोरी के चलते इन पार्ट्स की लागत बढ़ने से आने वाले हफ्तों में लग्जरी कारों की कीमतें बढ़ना लगभग तय माना जा रहा है। इससे प्रीमियम सेगमेंट के ग्राहकों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ सकता है।
दूसरी ओर, वही मुद्रा गिरावट देश के ऑटो और ऑटो-पार्ट्स निर्यातकों के लिए सकारात्मक संकेत दे रही है। निर्यात से मिलने वाली डॉलर-आधारित कमाई रुपये में बदलने पर अधिक राशि प्रदान करेगी, जिससे कंपनियों की मार्जिन क्षमता मजबूत हो सकती है। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह परिस्थितियाँ देश के निर्यात-केंद्रित विनिर्माण सेक्टर को और तेज़ी दे सकती हैं।
कुल मिलाकर, रुपये की गिरावट ने लग्जरी कार खरीदारों को कठिन भविष्य की ओर धकेला है, लेकिन निर्यात-उन्मुख कंपनियों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं। - UNA















