नई दिल्ली, भारत (UNA) : भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री 2026 के शुरू में एक महत्वपूर्ण दुविधा का सामना कर रही है। एक ओर, कच्चे माल, ईंधन, लॉजिस्टिक व अन्य उत्पादन लागतों में भारी वृद्धि हुई है, जिससे वाहन बनाने की लागत बढ़ चुकी है। कई प्रमुख वाहन निर्माता कंपनियों ने 新 साल से अपने मॉडल्स की कीमतों में वृद्धि करने की बात की है।
दूसरी ओर, सरकार और नियामक एजेंसियाँ ‘एंटी-प्रॉफिटियरिंग’ प्रावधानों की समीक्षा कर रही हैं, ताकि निर्माताओं द्वारा अचानक या अनुचित मूल्य वृद्धि को रोका जा सके। इसका मतलब है कि कंपनियों के लिए लागत बढ़ा है पर उन्हें कीमतें बढ़ाने की आज़ादी नहीं मिल रही, जिससे मार्जिन पर दबाव बन रहा है।
विश्लेषकों का कहना है कि उद्योग को या तो कम-मुनाफे पर काम करना होगा, या लागत/BOM (बिल ऑफ मैटेरियल) कम करने के विकल्प खोजने होंगे। इस दुविधा के कारण ऑटो कंपनियों को नए साल में उत्पादन, मॉडल लॉन्च और इन्वेंटरी मैनेजमेंट में ख़ास सावधानी बरतनी होगी। - UNA















