भारत-अमेरिका ने किया 10 वर्षीय रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर, इंडो-पैसिफिक में रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा31 Oct 25

भारत-अमेरिका ने किया 10 वर्षीय रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर, इंडो-पैसिफिक में रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा

मुंबई, भारत (UNA) : भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकारों ने आधिकारिक रूप से एक नए 10 वर्षीय रक्षा सहयोग फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर किए हैं, जो दोनों देशों की रणनीतिक और सैन्य साझेदारी में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। यह समझौता भारत-अमेरिका संबंधों को नई दिशा देने और रक्षा सहयोग को गहराई प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।

दोनों देशों के अधिकारियों ने इस समझौते को “महत्वपूर्ण प्रगति” बताया है, जिसका उद्देश्य रक्षा क्षेत्र के विभिन्न आयामों में सहयोग को सुदृढ़ करना और संयुक्त संचालन की क्षमता को बढ़ाना है। इस फ्रेमवर्क के तहत दोनों राष्ट्र रक्षा तकनीक, सूचना साझेदारी और सामरिक समन्वय को और मजबूत करने के लिए साथ मिलकर काम करेंगे।

इस समझौते की प्रमुख विशेषताओं में रक्षा प्रौद्योगिकी और सूचना-साझा तंत्र को सशक्त बनाना, दीर्घकालिक 10 वर्षीय प्रतिबद्धता स्थापित करना, तथा भारतीय और अमेरिकी सेनाओं के बीच इंटरऑपरेबिलिटी यानी संयुक्त अभियानों, लॉजिस्टिक्स और रक्षा औद्योगिक सहयोग को बढ़ावा देना शामिल है। यह समझौता न केवल अस्थायी बल्कि दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिससे दोनों देशों की सेनाओं और रक्षा उद्योगों को साझा योजना बनाने में स्थिरता और स्पष्ट दिशा मिलेगी।

रणनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो यह कदम इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा चिंताओं के बीच उठाया गया है, जहां दोनों देश क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने और विस्तारवादी दबावों का मुकाबला करने की दिशा में मिलकर काम करना चाहते हैं।

इस समझौते का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह दोनों देशों को अपनी रक्षा उद्योगों, प्रशिक्षण व्यवस्था और लॉजिस्टिक सहयोग प्रणालियों को अगले एक दशक तक योजनाबद्ध तरीके से विकसित करने का अवसर देगा। भारत के लिए यह पहल “मेक इन इंडिया” और रक्षा विनिर्माण स्थानीयकरण के उद्देश्यों के साथ तालमेल बिठाती है, जिससे उन्नत प्रौद्योगिकी तक पहुंच और सह-उत्पादन के अवसर प्राप्त हो सकते हैं। वहीं अमेरिका के लिए, भारत के साथ रक्षा साझेदारी को गहराई देना इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उसकी रणनीतिक स्थिति को और मजबूत करता है।

हालांकि, इस फ्रेमवर्क के कई विशिष्ट पहलू — जैसे कार्यक्रमों के सटीक विवरण, समयसीमा, बजट और संयुक्त परियोजनाएं — अभी स्पष्ट नहीं किए गए हैं। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत और अमेरिका इस समझौते को किस प्रकार ठोस परियोजनाओं, सह-विकास कार्यक्रमों और संयुक्त अभियानों में बदलते हैं।

कुल मिलाकर, यह 10 वर्षीय रक्षा फ्रेमवर्क दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी की मजबूत नींव रखता है। अब वास्तविक चुनौती इसके क्रियान्वयन में होगी — संयुक्त अभ्यासों को प्रभावी बनाना, औद्योगिक सहयोग को गति देना और यह सुनिश्चित करना कि इस ढांचे के तहत तैयार की गई संरचना दोनों देशों के सामरिक हितों को वास्तविक मूल्य प्रदान करे। – UNA

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