नई दिल्ली, दिल्ली (UNA) : दिल्ली एक बार फिर दमघोंटू स्मॉग की चादर में ढकी हुई है, जहां AQI खतरनाक स्तरों को पार कर आम जनता की रोजमर्रा की जिंदगी पर सीधा असर डाल रहा है। दूसरी ओर, कभी दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार बीजिंग ने अपने कठोर उपायों और दीर्घकालिक नीतिगत फैसलों से हवा को काफी हद तक स्वच्छ बना लिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बीजिंग ने औद्योगिक इकाइयों को स्थानांतरित करने, कोयले के इस्तेमाल पर रोक लगाने और बड़े पैमाने पर हरियाली बढ़ाने जैसे कदम लगातार लागू किए। वहीं, दिल्ली में प्रदूषण के स्रोत विविध हैं वाहन उत्सर्जन, पराली जलना, निर्माण धूल, और मौसम की प्रतिकूल स्थितियां जिन पर एक समान और स्थायी नियंत्रण अब भी चुनौती बना हुआ है।
सरकारी एजेंसियों ने दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू किया है, लेकिन उसकी प्रभावशीलता सीमित दिखती है क्योंकि कई उपाय केवल आपातकालीन हालात में सक्रिय होते हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि दिल्ली को दीर्घकालिक ठोस नीतियों और कठोर क्रियान्वयन की आवश्यकता है, तभी राजधानी बीजिंग जैसी हवा की गुणवत्ता हासिल कर पाएगी। - UNA















